भ्रष्ट नेताओं के पापों को साफ करने वाली भाजपा की ‘वॉशिंग मशीन’: बृंदा करात

नागपुर (एशियन पत्रिका ब्यूरो)
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की वरिष्ठ नेता बृंदा करात ने महाराष्ट्र में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि भारतीय जनता पार्टी की‘वॉशिंग मशीन’भ्रष्ट राजनेताओं के पापों को साफ कर रही है। उन्होंने राजनीतिक नेताओं के साथ भाजपा के गठबंधन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महाराष्ट्र में भाजपा ने उन लोगों को गले लगा लिया है जिन्हें उन्होंने कभी सबसे भ्रष्ट करार दिया था। उन्होंने कहा कि पूरे देश में भाजपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो ऐसी वॉशिंग मशीन’बना सकती है जो‘जय मोदी’कहने वाले हर व्यक्ति के पाप धो देगी।
महाराष्ट्र में वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य का ज़िक्र करते हुए राज्यसभा की पूर्व सदस्य ने कहा कि ये राज्य, गंदे पैसे की राजनीति,प्रवर्तन निदेशालय (ईडी),केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और आयकर (आईटी) जैसी एजेंसियों के प्रभाव से ख़राब हो रहा है। भाजपा की पाखंडी नीतियां सिद्धांतों पर सत्ता को प्राथमिकता देती हैं। भाजपा पर निशाना साधते हुए श्रीमती करात ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के मुख्य सहयोगी ईडी, सीबीआई और आयकर हैं। उन्होंने कहा कि इन कारकों ने महाराष्ट्र में राजनीतिक माहौल पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि भाजपा को जल्द ही महाराष्ट्र में आंतरिक उथल-पुथल का सामना करना पड़ेगा। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मुद्दे पर श्रीमती करात ने सरकार पर इस मामले पर 21वें विधि आयोग की रिपोर्ट को दरकिनार करने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि यूसीसी पर सरकार का रुख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘समान सांप्रदायिक एजेंडे’ से प्रेरित है और इसे लागू करने का मतलब उनके संबंधित व्यक्तिगत कानूनों के तहत महिलाओं के समान अधिकारों में बाधा डालना है। श्रीमती करात ने दावा किया कि 21वें विधि आयोग ने समुदाय के नेताओं के साथ परामर्श के माध्यम से व्यक्तिगत कानूनों में सुधारात्मक उपाय सुझाए थे। यूसीसी की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि इससे महिलाओं को समान अधिकार नहीं मिलेंगे क्योंकि इसके लिए व्यक्तिगत कानूनों को समाप्त करने की आवश्यकता होगी जो वर्तमान में विभिन्न समुदायों के लिए सुरक्षा और अधिकार प्रदान करते हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सच्ची लैंगिक समानता केवल व्यक्तिगत कानूनों के तहत दिए गए अधिकारों का सम्मान करके और उन्हें बढ़ाकर ही हासिल की जा सकती है।

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