नई दिल्ली (अनवार अहमद नूर)
इस्लाम धर्म के दो बड़े त्यौहारों को तो सभी जानते हैं जिनके नाम ईद-उल-फितर और ईद-उल-अज़हा हैं हालांकि इसके अलावा भी कुछ मौक़े ऐसे हैं जिन्हें बेहद खास माना जाता है। और उन्हें भी किसी बड़े पर्व ही की तरह मनाने की परंपरा चली आ रही है। ऐसे ही एक बड़ी खुशी वाला मौक़ा ईद मिलादुन्नबी है यानि पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद साहब का दुनिया में आना। जिसे सारी दुनिया ईद मिलादुन्नबी के नाम से जानती और मनाती है।
अरबी महीना रबीउल अव्वल की 12 तारीख़ को इसे मनाया जाता है। और ईद-ए-मिलाद पूरी दुनिया में मनाया जा रहा है। पूरी दुनिया के मुसलमान पैगम्बर मुहम्मद साहब के जन्मदिन को मना रहे हैं। ईद मिलाद-उन-नबी इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मनाया जाता है।
इस दिन मुसलमान अल्लाह की इबादत,जलसे जुलूस और भलाई के काम तथा दिल खोलकर दान पुण्य करते हैं। इस दिन की ख़ास बात यह भी है कि पैग़म्बर मुहम्मद साहब की पैदाइश का यह दिन खुशी का और शुभ अवसर तो है ही लेकिन मिलाद-उन-नबी (12 वफात) यानि शोक का दिन भी माना जाता है क्योंकि इस्लामिक इतिहास के मुताबिक रबी-उल-अव्वल के 12वें ही दिन पैग़म्बर मुहम्मद साहब ने इस दुनिया को अलविदा कहा था।