असम के डिब्रूगढ़ में ऑल असम कोच राजबोंगशी छात्र संघ के 514वें बीर चिलाराय दिवस के अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार डॉ. शशिकांत सैकिया को किया गया वीर चिलाराय पुरस्कार से सम्मानित ।
असम के डिब्रूगढ़ में ऑल असम कोच राजबोंगशी छात्र संघ के 514वें बीर चिलाराय दिवस के अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार डॉ. शशिकांत सैकिया को किया गया वीर चिलाराय पुरस्कार से सम्मानित ।

असम के डिब्रूगढ़ में ऑल असम कोच राजबोंगशी छात्र संघ के 514वें बीर चिलाराय दिवस के अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार डॉ. शशिकांत सैकिया को किया गया वीर चिलाराय पुरस्कार से सम्मानित ।
पंकज नाथ, असम, 25 फरवरी:
डिब्रूगढ़ साहित्य सभा के अध्यक्ष तथा डिब्रूगढ़ हनुमानबख्श सूरजमल कानई कॉलेज के प्रिंसिपल और प्रख्यात साहित्यकार और लेखक डॉ. शशिकांत सैकिया को ऑल असम कोच राजबोंगशी स्टूडेंट्स यूनियन द्वारा ‘चिलाराय पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। डिब्रूगढ़ साहित्यरथी लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ भवन में कल शनिवार को दिनभर के रंगारंग कार्यक्रम के साथ मनाया गया 514वें वीर शिलाराय दिवस के अनुरूप पहली बार अक्रासु द्वारा पेश किया गया यह पुरस्कार औपचारिक रूप से इस प्रख्यात साहित्यकार को दिया गया। ऑल असम कोच राजबोंगशी छात्र संघ की डिब्रूगढ़ जिला समिति के अध्यक्ष दिगंता सैकिया की अध्यक्षता में आयोजित एक खुली बैठक में चिलाराय पुरस्कार प्राप्त करते हुए डॉ. शशिकांत सैकिया ने वीर चिलाराय की तुलना प्राचीन असम के सिकंदर से करते हुए कहा कि – नई पीढ़ी को वीर चिलाराय से बहुत कुछ सीखना है नई पीढ़ी को चिलाराय के बारे में जानने की जरूरत है। असमिया जाति की जड़ों को खोजने के लिए चिलाराय के साम्राज्य का अध्ययन करना होगा। उसी दौरान वीर चिलाराय ने लोगों से प्रेम करने के लिए आंदोलन खड़ा किया था। समन्वयन और सद्भाव में उन्होंने एक समाज बनाने की कोशिश किया था । डॉ. सैकिया ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी किया कि नई पीढ़ी को इस महान योद्धा के आदर्शों को स्वीकार करना होगा। इस अवसर पर बोलते हुए, ‘असम आदित्य’ अखबार के संपादक तथा प्रसिद्ध लेखक मंजीत बोरा ने कहा कि जाति को हमेशा जड़ों से जुड़ा होना चाहिए। एक जाती कभी समृद्ध नहीं होगा यदि उसकी जड़ें नहीं होंगी। कोच राजवंश तभी समृद्ध होगा जब परंपराओं, संस्कृति, लोकाचार को संरक्षित किया जाएगा। अगर कोच राजबोंगशी समृद्ध होता रहा तो असमिया जाति मजबूत बना रहेगा। क्योंकि आज के दिन और युग में यह सवाल है कि कौन असमिया है? इस सवाल का जवाब हमेशा हमारी जड़ों ने दिया है। जनजातीकरण के मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि सरकारें जनजातीकरण के नाम पर कोच वंश को धोखा देती आ रही हैं। अगर कोच राजबोंगशी छात्र संघ इस मुद्दे को मजबूती से आगे बढ़ाने में विफल रहता है तो सरकार या राजनीतिक दल राजनीति करना जारी रखेंगे। उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ पत्रकार ने कल वीर चिलाराय दिवस के अवसर पर प्रशांत सैकिया के संपादन में प्रकाशित संस्मरण पुस्तक ‘प्रवाहमान’ का विमोचन किया। दूसरी ओर, खुली बैठक शुरू होने से पहले पत्रकार हिरण्य बोरा द्वारा उद्घाटन किया गया एक विशाल सांस्कृतिक जुलूस निकाला गया। आक्रासु जिलाध्यक्ष दिगंता सैकिया के ध्वजारोहण के साथ लॉन्च इवेंट में लाहौवाल कॉलेज में प्रोफेसर सरल दत्त ने दीप जलाया , चिलाराय की छवि को होमगार्ड के कमांडर सुमन दास ने माला पहनाई, आक्रासू के जिला सचिव प्रांजल दत्ता ने शहीदों का शहादत किया। कल के सभा में आक्रासु के डिब्रूगढ़ जिला सचिव प्रांजल दत्ता ने स्वागत भाषण दिया और बैठक को प्रशांत सैकिया ने आगे बढ़ाया। इस अवसर पर कानई कॉलेज के पूर्व उपप्राचार्य नरेंद्र महेला, डिब्रूगढ़ शहरी विकास प्राधिकरण के प्रिंसिपल असीम हजारिका , असम जातीयताबादी युवा परिषद के केंद्रीय महासचिव उदयन कुमार गोगोई , ताई अहोम युवा परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष हेमंत गोगोई, आक्रासु के लखीमपुर जिलाध्यक्ष हिरण्य राजखोवा, धेमाजी जिला कोच राजबंगशी महिला समिति की अध्यक्ष गोलापी सिंह , मौजदार एसोसिएशन के सलाहकार पद्मधर दत्ता, ग्राम रक्षक बल के कप्तान मनोज दत्ता, श्रीमंत शंकरदेव संघ की डिब्रूगढ़ क्षेत्रीय समिति के सांस्कृतिक विंग के सचिव प्रशांत काकती, मोरान कॉलेज में प्रोफेसर डॉ. राजीव हजारिका, ग्रेटर डिब्रूगढ़ प्रेस क्लब के महासचिव रातुल बुरागोहेन, लोक निर्माण विभाग के अधीक्षक इंजीनियर प्रशांत कुमराल सैकिया, माणकता साहित्य सभा के अध्यक्ष पोना सोनोवाल, सचिव नवनीता श्याम ओरंगिया, साहित्य सभा की मंदाकिनी सचिव कुसुम सोनोवाल , वरिष्ठ पत्रकार देबजीत चुटिया, शिक्षिका मंजुलता सोनोवाल- समाजसेवी पद्मधर बरुआ सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित थे।