उच्चतम न्यायालय कोलेजियम ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए केंद्र के रवय्ये पर प्रकट की चिंता
वरिष्ठता में विचलन पैदा करना अनुचित और स्थापित परिपाटी के ख़िलाफ़ बताया।

नई दिल्ली ( एशियन पत्रिका ब्यूरो)
देश की सबसे बड़ी अदालत उच्चतम न्यायालय कोलेजियम ने न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए भेजे गये नामों को केंद्र की ओर से रोककर रखने पर चिंता प्रकट की है साथ ही उसने कहा है कि कैंडिडेटस के नामों को रोककर रखने से वरिष्टता पर प्रभाव पड़ता है। यह एक चिंता का विषय है। सुप्रीम कोर्ट कलीजियम ने सिफारिश किए गए नामों पर जल्द कार्रवाई करने को कहा है। उसने सरकार से कहा कि जिन नामों की पहले सिफारिश की जा चुकी है, उन्हें पदोन्नत करने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाए।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने कहा कि जिन नामों की पहले सिफारिश की गयी है, उनकी पदोन्नति के लिए अधिसूचना जल्द से जल्द जारी की जानी चाहिए। कॉलेजियम ने 21 मार्च के एक प्रस्ताव में यह चिंता जताई, जिसमें उसने मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए जिला अदालतों के चार न्यायाधीशों के नाम की सिफारिश की है। कॉलेजियम में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसफ भी शामिल हैं। कॉलेजियम ने आर शक्तिवेल, पी धनबल, चिन्नासामी कुमारप्पन और के. राजशेखर के नाम की सिफारिश की। प्रस्ताव के अनुसार, ‘17 जनवरी 2023 के अपने प्रस्ताव द्वारा उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस कर रहे रामास्वामी नीलकंदन की उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की सिफारिश की थी और 31 मार्च, 2023 तक की स्थिति के अनुसार रामास्वामी नीलकंदन की आयु 48.07 वर्ष थी, जबकि उस समय के. राजशेखर की आयु 47.09 वर्ष थी।’कॉलेजियम ने कहा कि ‘बार के सदस्य नीलकंदन के नाम की सिफारिश पहले की जा चुकी है और राजशेखर की नियुक्ति से पहले उन्हें नियुक्त किया जाना चाहिए था अन्यथा नीलकंदन से कनिष्ठ एवं न्यायिक अधिकारी राजशेखर वरिष्ठता क्रम में उनसे ऊपर हो जाएंगे। वरिष्ठता में इस तरह का विचलन अनुचित और स्थापित परिपाटी के विरुद्ध है।उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम के मामले में पहले ही से चर्चाएँ हैं कि सरकार उसकी बात को नज़रअंदाज़ करके मनमानी करना चाह रही है जो सरासर अनुचित और न्याययिक परिपाटी के विरुद्ध है।