भारत का व्यापार घाटा और कम होने की उम्मीद: आर्थिक समीक्षा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में सोमवार को पेश आर्थिक समीक्षा में यह बात कही गई।

नई दिल्ली, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं की वजह से घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन मिलने और मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) से निर्यात में वृद्धि से देश का व्यापार घाटा कम होने की उम्मीद है।हालांकि, इसमें वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव से भारत के व्यापार संतुलन व मुद्रास्फीति के स्तर को प्रभावित करने की भी बात कही गई। खासकर कच्चे तेल, धातु और कृषि उत्पादों जैसे महत्वपूर्ण आयात के मामले में…।समीक्षा कहती है कि यद्यपि वर्तमान भू-राजनीतिक प्रतिकूल परिस्थितियों ने भारत के वस्तु निर्यात को प्रभावित किया है, फिर भी अंतरराष्ट्रीय वस्तुओं की कीमतों में नरमी ने वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में 2023-24 में कम व्यापार घाटा सुनिश्चित किया है।देश का वस्तुओं का व्यापार घाटा 2022-23 में 265 अरब अमेरिकी डॉलर से घटकर 2023-24 में 240 अरब डॉलर रह गया।इसमें कहा गया कि प्रमुख व्यापारिक साझेदारों द्वारा व्यापार नीतियों में बदलाव या भू-राजनीतिक घटनाक्रम भारत के निर्यात अवसरों और बाजार पहुंच को प्रभावित कर सकते हैं।आर्थिक समीक्षा में कहा गया, ‘‘आने वाले वर्षों में भारत के व्यापार घाटे में और कमी आने की उम्मीद है क्योंकि पीएलआई योजना का विस्तार किया जा रहा है। साथ ही भारत कई उत्पाद श्रेणियों में वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी विनिर्माण आधार तैयार कर रहा है।’’इसमें कहा गया कि हाल ही में हस्ताक्षरित एफटीए (मुक्त व्यापार समझौते) से वैश्विक स्तर पर देश के निर्यात की हिस्सेदारी बढ़ने की उम्मीद है।
मोबाइल विनिर्माण, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) हार्डवेयर, औषधि, दूरसंचार और खाद्य उत्पाद जैसे क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजना विनिर्माण को बढ़ाने तथा आयात में कटौती करने में मदद कर रही है।भारत ने मॉरीशस, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त अरब अमीरात के साथ एफटीए लागू किया है।