सर्वधर्म समभाव भारतीय धर्मनिरपेक्षता की एक अनूठी अवधारणा है : रुचिरा कंबोज

रुचिरा कंबोज ने कहा कि भारत सभी धर्मो पर हमलों की निंदा करता है।

नई दिल्ली (एप न्यूज़ डेस्क)।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा है कि भारत गिरजाघरों,गुरुद्वारों,मठों,मस्जिदों,मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों पर बढ़ते हमलों से चिंतित रहते हुए सभी धर्मों पर हमलों की निंदा करता है और उसने कट्टरता का मुकाबला करने के लिए अंतर-धार्मिक संवाद का आह्वान किया है। रुचिरा कंबोज ने शांति की संस्कृति पर एक प्रस्ताव में कहा कि यह हमारे लिए मानव बंधुत्व को मज़बूत करने और शांति की संस्कृति के निर्माण में हमारे प्रयासों को तेज़ करने के लिए मिलकर काम करने का समय है। रुचिरा कंबोज ने सुझाव दिया कि धार्मिक भय का मुकाबला करने के लिए,अंतर-धार्मिक संवाद करना चाहिए। उन्होंने स्वामी विवेकानंद की उक्ति को उद्धृत करते हुए धर्मों के लिए एक गै़र-बहिष्करण दृष्टिकोण की व्याख्या की और कहा कि हम न केवल सार्वभौमिक सहनशीलता में विश्वास करते हैं, बल्कि हम सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा,हम अब्राहमिक और गैर-अब्राहमिक दोनों धर्मों के अनुयायियों के ख़िलाफ़ असहिष्णुता,भेदभाव या हिंसा की बढ़ती घटनाओं से चिंतित हैं। हम यहूदी-विरोधी,क्रिश्चियनोफोबिया और इस्लामोफोबिया से प्रेरित भेदभाव या हिंसा के कृत्यों की कड़ी निंदा करते हैं। रुचिरा कंबोज ने चचरें,गुरुद्वारों,मठों,मस्जिदों,मंदिरों,और अन्य सहित धार्मिक स्थानों पर बढ़ते हमलों पर भी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी धर्मों के लिए समान – सम्मान का यह सिद्धांत हज़ारों वर्षों से भारत के लोकाचार का हिस्सा रहा है और यह सिद्धांत भारत के संविधान का अभिन्न अंग भी है। उन्होंने कहा कि सर्वधर्म समभाव भारतीय धर्मनिरपेक्षता की एक अनूठी अवधारणा है।
ज्ञात रहे कि महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बुधवार को सुरक्षा परिषद को बताया कि दुनिया भर में हम जेनोफोबिया, नस्लवाद और असहिष्णुता,हिंसक कुप्रथा,मुस्लिम विरोधी घृणा, और हमलों का एक आधार देख रहे हैं।
शांति घोषणा की संस्कृति पर प्रस्ताव पर कंबोज ने कहा कि हम दृढ़ता से मानते हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग और स्वतंत्रता की तलाश, प्राप्त करने और प्रदान करने के लिए पूर्ण सम्मान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने आतंकवाद के खतरों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया जो असहिष्णुता और हिंसा का प्रकटीकरण है और सभी धर्मों और संस्कृतियों का विरोधी है। पूरे विश्व को उन आतंकवादियों से चिंतित होना चाहिए जो इन कृत्यों को सही ठहराने के लिए धर्म का उपयोग करते हैं और जो उनका समर्थन करते हैं और हमें आतंकवाद और हिंसक अतिवाद के खिलाफ शून्य सहिष्णुता अपनानी चाहिए।

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