ये रैम्बो सर्कस’ है जिसके हैरतअंगेज़ कारनामे सभी को कर रहे हैरान
रैम्बो सर्कस' का 25-28 मई तक सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम दिल्ली में आयोजन

विदेशी कलाकारों के रोमांचक करतब
– गर्मी की छुट्टी में बच्चों के मनोरंजन का साधन
नई दिल्ली, (संवाददाता)
दुनिया भर में सर्कस का नाम सुनते ही लोग रोमांचित हो जाते हैं। सर्कस सदैव ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है और आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में भी सर्कस लोगों के आकर्षण का केंद्र है। और जब बात गर्मी की छुट्टियों की हो, तो बच्चों के लिए इससे बढ़कर मनोरंजन का साधन और हो भी क्या सकता है। दिल्ली के सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में देश के सबसे पुराने और बड़े रैम्बो सर्कस का गुरुवार को शानदार आग़ाज़ हुआ। इस सर्कस में खेल, म्यूजिक डांस और हैरतअंगेज कर देने वाले नजारे पेश गए। रैंबो सर्कस की खास बात ये है कि यहां हमेशा कुछ न कुछ अलग दिखाया जाता है। रैम्बो सर्कस में विदेशी कलाकारों के हैरतअंगेज़ करतब देखकर बच्चे बूढ़े महिलाएं और नौजवान दांतो तले उंगलियां दबा लेंगे। 25 से 28 मई तक चलने वाले इस सर्कस में वीकेंड्स को छोड़कर प्रतिदिन दो शो और शनिवार और रविवार को 4 शो का आयोजन होगा।
रैंबो सर्कस की स्थापना भारत के महाराष्ट्र के पुणे शहर में श्री पीटी दिलीप ने 1991 में की थी। ग्रेट ओरिएंटल सर्कस और विक्टोरिया सर्कस से भी पीटी दिलीप जुड़े हुए थे, इन तीनों सर्कस को मिलाकर उन्होंने एक बड़े सर्कस का निर्माण किया। अब इसे आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी उनके बेटे सूदीप दिलीप पर है। सूदीप कहते है कि मनोरंजन के सभी माध्यमों ने तकनीक की मदद से तरक्क़ी कर ली लेकिन सर्कस आर्थिक कमज़ोरी के कारण पीछे रह गया। लेकिन अभी सर्कस सैकड़ो परिवार की रोज़रोटी का माध्यम है।
सर्कस में ‘जोकर’ की भुमिका निभा रहे राजीव कहते हैं, “आज मैं जो कुछ भी हूं इस सर्कस की वजह से हूं, नहीं तो इस कद काठी के साथ मुझे कौन काम देता। अगर यह सर्कस भी बंद हो गया, तो न जाने मैं क्या काम कर पाउंगा?” सर्कस में ‘जोकर’ की भुमिका निभा रहे राजीव कहते हैं, “आज मैं जो कुछ भी हूं इस सर्कस की वजह से हूं, नहीं तो इस कद काठी के साथ मुझे कौन काम देता। अगर यह सर्कस भी बंद हो गया, तो न जाने मैं क्या काम कर पाउंगा?”
रैम्बो सर्कस में ‘जोकर’ की भुमिका निभा रहे राजीव कहते हैं, “आज मैं जो कुछ भी हूं इस सर्कस की वजह से हूं, नहीं तो इस कद काठी के साथ मुझे कौन काम देता। अगर यह सर्कस भी बंद हो गया, तो न जाने मैं क्या काम कर पाउंगा?
” भारत में सर्कस का मनोरंजन का सबसे पुराने साधनों में से एक है। देश में सर्कस काफी लोकप्रिय है। लेकिन आज के इस डिजिटल युग में इसका संचालन एक बड़ी चुनौती बन गई है।