अमेरिका के मैरीलैंड चर्च में होता था बच्चों का यौन शोषण
चर्च में पादरियों के दुर्व्यवहार और बच्चों के साथ यौन शोषण की रिपोर्ट ने चौंकाया

यौन शोषण से जुड़ी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अपराधों में ज्यादातर उन बच्चों को शामिल किया गया जो मजबूर थे और चर्च में कई छोटे बड़े काम करते थे। शोषण के दौरान इन बच्चों से कहा जाता था कि ये गॉड की मर्जी है।
नई दिल्ली (एप डेस्क)
दुनिया का प्रमुख देश और दुनिया भर में मानवाधिकारों की बात करने वाले देश अमेरिका में अगर चर्च में पादरियों के दुर्व्यवहार और बच्चों के साथ यौन शोषण की रिपोर्ट आती है तो ये चौकानें वाली ही नहीं बल्कि बड़ी शर्मनाक खबर है। आपको बता दें कि अमेरिका के मैरीलैंड स्टेट में एसी ही चौंकाने वाली शर्मनाक रिपोर्ट सामने आई है। यहां बड़ी संख्या में कैथोलिक पादरियों ने कुछ और लोगों के साथ मिलकर अस्सी सालों में यानि 1940 से लेकर अब तक 600 से अधिक बच्चों का यौन शोषण किया गया है। मैरीलैंड के अटॉर्नी जनरल एंथनी ब्राउन ने 463 पेज की ये रिपोर्ट जारी की है। चार साल तक जांच के बाद इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है। इसमें पादरियों के दुर्व्यवहार और चर्च प्रबंधन द्वारा मामले को छिपाने का पूरा विवरण है। इस गम्भीर अपराध में बाल्टीमोर के आर्चडायसिस के सदस्यों के शामिल होने की बात सामने आई है। ये अमेरिका का पहला कैथोलिक सूबा है। ये रिपोर्ट रोमन कैथोलिक चर्च में होने वाले यौन शोषण के दशकों पुराने मामले में एक कड़ी है। यौन शोषण से जुड़ी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अपराधों में ज्यादातर उन बच्चों को शामिल किया गया जो मजबूर थे और चर्च में कई छोटे बड़े काम करते थे। शोषण के दौरान इन बच्चों से कहा जाता था कि ये गॉड की मर्जी है। वहीं उन्हें धमकी भी दी जाती थी अगर उन्होंने किसी को भी इस बारे में बताया तो उनके परिवार के लोग नर्क में जाएंगे। ज्ञात रहे कि मैरीलैंड सीनेट ने एक बिल पारित किया है। इसके तहत यौन शोषण के खिलाफ मुकदमे दायर करने की सीमाओं को निरस्त कर दिया गया है। और अब यौन शोषण का मामला चाहे कितना भी पुराना हो, पीड़ित इसके संबंध में केस दर्ज करवा सकता है। स्टेट के कैथोलिक कॉन्फ्रेंस ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे गलत और असंवैधानिक बताया था। मैरीलैंड की इस रिपोर्ट में ऐसे किसी भी आरोपी का नाम सामने नहीं आया है जो फिलहाल पादरी वर्ग में सेवा कर रहे हैं। ज्यादातर आरोपियों की मौत हो चुकी है। रिपोर्ट जारी करने की मंजूरी देने वाले बाल्टिमोर के जज टेलर ने कहा कि आरोपियों की मृत्यु के बाद हम सभी मामलों का खुलासा और इनकी गणना करके ही पीड़ितों को न्याय दिला सकते हैं। 456 पन्नों की रिपोर्ट बनाने में दो अटॉर्नी जनरल शामिल रहे। इसे समय-समय पर ज्यूरी द्वारा जारी किए गए समनों को इकट्ठा करके बनाया गया है। इसके अलावा इसमें कर्मियों के रिकॉर्ड, मेडिकल और साइकोलॉजिकल हेल्थ डॉक्यूमेंट्स, ऑफिशियल चर्च नीतियों जैसे हज़ारों दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया है। रिपोर्ट में ऐसे 33 पादरी शामिल हैं जिनके नाम पहले किसी मामले में सामने नहीं आए थे। साथ ही चर्च से जुड़े 146 आरोपियों के नाम हैं, जिनमें ज्यादातर पुरुष हैं जो बतौर पुजारी सेवा कर चुके हैं। इसके अलावा 10 लोग ऐसे हैं जिनके नाम अभी सामने नहीं आए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ये लोग अभी भी जीवित हो सकते हैं और मुमकिन है कि अब तक इनकी पहचान न की गई हो। वहीं इसमें चर्च प्रबंधन के कुछ ऐसे लोगों का भी जिक्र है जिन्होंने अपराध छिपाने में आरोपियों की मदद की थी। चर्च में यौन शोषण स्कैंडल की बात बीस सालों से अधिक समय से चली आ रही है। सबसे पहले वर्ष 2002 में द बोस्टन ग्लोब मीडिया कंपनी ने इसे उजागर किया था। उन्होंने चर्च में नाबालिगों के साथ होने वाले शोषण पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसके बाद पांच पादरियों पर आपराधिक केस चलाया गया था।
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