म्यांमार (वर्मा) की सेना ने प्रतिबंध के बाद भी करोड़ों के हथियार खरीदे
यूएन की रिपोर्ट में कहा गया कि सेना ने इन हथियारों का इस्तेमाल लोगों के ख़िलाफ़ हिंसा करने में किया

नई दिल्ली (एशियन पत्रिका न्यूज़ डेस्क)
वर्मा (म्यांमार) की सेना ने 2021 में तख्तापलट के बाद 1 बिलियन डॉलर यानी 8 हज़ार करोड़ के हथियार खरीदे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेषज्ञों के अनुसार ये खरीद म्यांमार की सेना ने उस पर लगी पाबंदियों के बावजूद की है। ज्यादातर हथियार रूस, चीन और सिंगापुर की कंपनियों से खरीदे गए हैं। वहीं भारत की कंपनियों से भी म्यांमार की सेना को पिछले 2 सालों में 420 करोड़ के हथियार और उससे जुड़ा सामान मिला है। यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बात के पुख्ता सुबूत हैं कि सेना ने इन हथियारों का इस्तेमाल लोगों के ख़िलाफ़ हिंसा करने में किया है। इसके बावजूद कुछ देशों ने बिना रुके सेना को हथियार पहुंचाए हैं। म्यांमार की सेना को हथियार देने के मामले में रूस सबसे आगे है। 2 सालों में रूस ने म्यांमार को 4 हजार करोड़ रुपए के हथियार दिए हैं। वहीं, 2 हजार करोड़ के हथियार उन्हें चीन की तरफ से मिले हैं। रिपोर्ट में दावा किया है कि म्यांमार को हथियार और उन्हें बनाने का सामान पहुंचाने में रूस, चीन और भारत की सरकारी कंपनियां भी शामिल हैं। जबकि भारत की सरकार ने कहा कि हथियार देने का समझौता पिछली सरकार में हुआ था। वहीं, 1 बिलियन डॉलर में से 947 मिलियन डॉलर के हथियारों की डील सीधे म्यांमार की सेना से जुड़ी कंपनियों के साथ की गई। इसका मतलब ये है कि हथियार सप्लाई करने वाले देशों को पता था कि वो सीधे वहां की सेना के साथ डील कर रहे हैं। पिछले महीने ही म्यांमार की सेना ने वहां के सागैंग के पजिगी गांव में हमला किया था। इस दौरान पजिगी इलाके में सेना के पास रूसी फाइटर जेट्स याक-130 देखे गए थे। जिनसे सेना ने 300 लोगों पर 250 किलो के बम बरसाए थे। हमला इतना तेज था कि लोगों के शव पहचान में भी नहीं आ रहे थे। इसके अलावा सेना ने लगातार 20 मिनट तक फायरिंग भी की थी। इसमें 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। म्यांमार में फरवरी 2021 में सेना ने तख्तापलट कर दिया था। वहां की पुलिस नें नेता आंग सान सू की पर कई आरोप लगाकर उन्हें जेल में डाल दिया था। सेना ने तख्तापलट को ये कहते हुए सही ठहराया था कि म्यामांर में 2020 में हुए चुनावों में धांधली हुई थी। इन चुनावों में आंग सान सू की की पार्टी नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी ने एकतरफ़ा जीत हासिल की थी।