सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा के रचयिता सर मोहम्मद इक़बाल को दिल्ली यूनिवर्सिटी ने पाठ्यक्रम से हटाया,


नई दिल्ली (एप ब्यूरो)
दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद ने शुक्रवार को सिलेबस में कई बदलावों को मंजूरी दी है। इनमें शायर मोहम्मद इकबाल को बीए राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम से हटाना भी शामिल है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि परिषद ने विभाजन अध्ययन, हिंदू अध्ययन और जनजातीय अध्ययन के लिए नए केंद्र स्थापित करने के प्रस्तावों को भी मंजूरी दी है। सर अल्लामा इक़बाल ने ही प्रसिद्ध और लोकप्रिय ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा’ गीत लिखा था।
ज्ञात रहे कि डीयू अकादमिक परिषद में सौ से अधिक सदस्य हैं। अल्लामा इक़बाल को पाठ्यक्रम से हटाने पर इन्होंने दिन भर विचार-विमर्श किया। इनमें से कम से कम पांच सदस्यों ने विभाजन अध्ययन पर प्रस्ताव का विरोध किया।
डीयू के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने कहा कि शुक्रवार को परिषद की बैठक में पाठ्यक्रम और विभिन्न केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव पारित किए गए। गुप्ता ने कहा कि विभाजन, हिंदू और जनजातीय अध्ययन के लिए केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव पारित किए गए हैं। मोहम्मद इकबाल को पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है।” इकबाल को बीए राजनीति विज्ञान के पेपर “आधुनिक भारतीय राजनीतिक विचार” में शामिल किया गया था। आपको बता दें कि प्रस्तावों पर विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद से अनुमोदन के अंतिम मुहर की आवश्यकता होगी, जो कि 9 जून को मिलने वाली है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की दिल्ली इकाई ने एक बयान में इकबाल को पाठ्यक्रम से हटाने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, ”दिल्ली विश्वविद्यालय अकादमिक परिषद ने डीयू के राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम से कट्टर धार्मिक विद्वान मोहम्मद इकबाल को हटाने का फैसला किया। मोहम्मद इकबाल को ‘पाकिस्तान का दार्शनिक पिता’ कहा जाता है। वह जिन्ना को मुस्लिम लीग में नेता के रूप में स्थापित करने में प्रमुख खिलाड़ी थे। मोहम्मद इकबाल भारत के विभाजन के लिए उतने ही जिम्मेदार हैं जितने कि मोहम्मद अली जिन्ना हैं।
आपको बता दें कि अकादमिक परिषद में 100 से अधिक सदस्य हैं। इकाबल को हटाने पर इन्होंने दिन भर विचार-विमर्श किया। इनमें से कम से कम पांच सदस्यों ने विभाजन अध्ययन पर प्रस्ताव का विरोध किया। इसे विभाजनकारी बताया है। इन सदस्यों ने कहा कि केंद्र के लिए प्रस्ताव विभाजनकारी है। इसका उद्देश्य बताता है कि केंद्र 1300 वर्षों में पिछले आक्रमणों, पीड़ा और गुलामी का अध्ययन करेगा।’काउंसिल के सदस्यों ने इस बात की पुष्टि की है कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि मोहम्मद इक़बाल के बारे में राजनीति विज्ञान में पढ़ाया जाने वाला चैप्टर हटाया जा रहा है। दिल्ली यूनिवर्सिटी में बीए के छठे सेमेस्टर में पढ़ाए जाने वाले पेपर ‘आधुनिक भारतीय राजनीतिक विचारधारा’ में इक़बाल का ज़िक्र है।

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