‘उमराव जान’ फिल्म के लिए केवल एक ही गीत गाना था: आशा भोसले

I had to sing only one song for the film 'Umrao Jaan': Asha Bhosle

नई दिल्ली,दिग्गज गायिका आशा भोसले ने कहा कि उन्हें 1981 की क्लासिक फिल्म ‘उमराव जान’ के लिए एक गाना गाने के लिए कहा गया था लेकिन उन्होंने पूरी फिल्म के सभी गीतों के लिए अपनी आवाज दी।मुजफ्फर अली द्वारा निर्देशित और रेखा द्वारा अभिनीत इस फिल्म के लिए भोसले को सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। रविवार को गायिका आशा भोसले 91 साल की हो गईं। उन्होंने ‘दिल चीज़ क्या है’, ‘इन आंखों की मस्ती के’, ‘ये क्या जगह है दोस्तों’, ‘जब भी मिलती है’ और ‘जुस्तजू जिसकी थी’ जैसे गाने गाए।आशा भोसले ने कहा, ‘फिल्म में मेरा एक गाना था। मैंने हां कर दिया और निर्माता ने मुझे ‘उमराव जान’ किताब दी। सभी गाने एक ही भाव में थे। मैंने इसे पढ़ा और उमराव जान बन गई।’ उन्होंने दूरदर्शन के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘मुझे केवल एक ही गाना गाना था लेकिन मैंने फिल्म के सभी गानों के लिए गाया। यह किस्मत ही है, नहीं? सभी गाने हिट हो गए।’जब उनसे पूछा गया कि 91 साल की उम्र में उन्हें क्या आगे बढ़ने में मदद करता है। उन्होंने कहा, ‘मैं आजकल की तरह जवान दिखने के लिए कुछ नहीं करती। जो लोग अंदर से खुश और सकारात्मक होते हैं, उनका जीवन के प्रति दृष्टिकोण अच्छा होता है। मैं सकारात्मक रहती हूं, सीखती हूं, और केवल वही करती हूं जो मुझे पसंद है,यह सब ईश्वर में अटूट आस्था के कारण होता है।’भोसले ने कहा कि उनकी और उनकी बड़ी बहन सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर की आवाज़ थोड़ी मिलती-जुलती थी, लेकिन उन्होंने हमेशा अपनी अलग पहचान बनानी चाही।‘पिया तू अब तो आजा’, ‘तोरा मन दर्पण कहलाये’, ‘मेरा कुछ सामान’, और ‘ले गई ले गई’ जैसे विभिन्न प्रकार के गानों के लिए जानी जाने वाली भोसले ने कहा, ‘‘किसी को भी अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन को अलग रखना चाहिए।’’आशा भोसले ने कहा, ‘आपके जीवन का दुख आपके गीतों में नहीं झलकना चाहिए। एक कलाकार के तौर पर आपको भावनाओं के हिसाब से बदलना चाहिए। यही वजह है कि पार्श्व गायन में दीदी और मैंने इतने सालों तक अपनी जगह बनाए रखी। दीदी ने शुरुआत की और फिर मैं इसमें आ गयी।’साक्षात्कार में, संगीत जगत की दिग्गज हस्ती ने अपने संगीतकार-पति आर.डी. बर्मन, जिन्हें प्यार से पंचम के नाम से जाना जाता है, के बारे में भी बात की।‘ऐसे बहुत कम संगीत निर्देशक हैं जो किसी कलाकार के दिमाग में क्या चल रहा है, यह समझ पाते हैं और फिर उससे गाने को कहते हैं। पंचम उनमें से एक थे। एक बार मैंने उनसे एक सरल गीत देने को कहा।’’उन्होंने कहा, ‘‘सरल गीत तो कोई भी गा सकता है, लेकिन कोई भी आपके जैसा नहीं है। अगर आप ये गीत नहीं गाएंगी, तो मैं उन्हें संगीतबद्ध करना बंद कर दूंगा।’’ लेकिन मुझे जीवन में चुनौतियों का सामना करना भी पसंद था और पंचम का हर गीत मेरे लिए एक चुनौती था।’

 

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