प.बंगाल में केंद्रीय बलों की तैनाती के आदेश के ख़िलाफ़ याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में ख़ारिज

चुनाव कराना हिंसा का लाइसेंस नहीं हो सकता

नई दिल्ली (एप ब्यूरो)।
देश की उच्चतम अदालत यानि सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश में हस्तक्षेप से साफ़ इंकार कर दिया है जिसमें पश्चिम बंगाल में राज्य निर्वाचन आयोग को आठ जुलाई को होने वाले पंचायत चुनावों के लिए केंद्रीय बलों की मांग करने और तैनात करने का निर्देश गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनाव कराना कोई हिंसा का लाइसेंस प्राप्त करना नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली पश्चिम बंगाल सरकार और एसईसी की याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया और कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश का आशय अंतत राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना था। न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अवकाशकालीन पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा है कि चुनाव कराना हिंसा का लाइसेंस नहीं हो सकता। खंडपीठ ने कहा कि यह सच है कि उच्च न्यायालय के आदेश का आशय राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना है,क्योंकि यहां एक ही दिन में पंचायत चुनाव हो रहे हैं। न्यायालय ने कहा है कि उच्च न्यायालय के आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है और शीर्ष अदालत इस संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा जारी किसी अन्य निर्देश में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है। पीठ ने कहा कि राज्य और एसईसी का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ताओं ने दलील दी है कि पश्चिम बंगाल के सभी ज़िलों के लिए केंद्रीय बलों की मांग और तैनाती के लिए उच्च न्यायालय के निर्देश में शीर्ष अदालत को हस्तक्षेप करना चाहिए। एसईसी के वकील ने कहा कि चुनाव कराने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग करना आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं था। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि चुनाव के साथ हिंसा नहीं हो सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर लोग जाकर अपना नामांकन पत्र दाखिल नहीं कर पा रहे हैं या जिन लोगों ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है,उन्हें अंतत:ख़त्म कर दिया गया है या समूह संघर्ष हो रहे हैं,तो फिर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कहां रहा। राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि कभी-कभी तथ्य और आंकड़े धारणाओं से अलग होते हैं। हाईकोर्ट ने 15 जून को राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि पंचायत चुनाव के लिए पूरे पश्चिम बंगाल में 48 घंटे के अंदर केंद्रीय बलों की मांग की जाए और उन्हें तैनात किया जाए। अदालत ने कहा था कि उसने चुनावी प्रक्रिया के लिए 13 जून को संवेदनशील क्षेत्रों में केंद्रीय बलों को तैनात करने का आदेश दिया था,लेकिन तभी से कोई उपयुक्त कदम नहीं उठाया गया। ज्ञात रहे कि हाईकोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी के नेता शुभेंदु अधिकारी और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी की याचिकाओं पर राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि राज्य के उन सभी ज़िलों में केंद्रीय बलों को तैनात करने की मांग की जाए, जहां आठ जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान हिंसा हुई है।

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