पाकिस्तान में आसमान छूती महंगाई के बाद सरकार मांगेगी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मदद

नई दिल्ली (एप न्यूज़ डेस्क)
भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में महंगाई को लेकर हालात बद से बद्तर होते जा रहे हैं।हज़ारों लोग उच्च टैरिफ और करों को खारिज करते हुए अपने बिजली बिल जला रहे हैं और हालात तेज़ी से नियंत्रण से बाहर हो रहे हैं, वहीं पाकिस्तान सरकार ने कहा है कि उसके हाथ पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से बंधे हैं। वित्तीय एजेंसी की सहमति के बिना वह कोई राहत नहीं दे सकती।
पाकिस्तान की अंतरिम वित्त मंत्री शमशाद अख्तर का कहना है कि सरकार आईएमएफ कार्यक्रम की जंजीरों से बंधी हुई है। उसे करों को लागू करना है। बिजली और गैस दरों में और वृद्धि करनी है। ईंधन की कीमतों को बढ़ाना है और कर आधार भी बढ़ाना है।
अंतरिम वित्त मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद डॉ.शमशाद ने पहली पॉलिसी स्टेटमेंट में कहा है कि पाकिस्तान एक आयात-निर्भर देश है और कमोडिटी की कीमतों को आगे बढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि हमारे पास राजकोषीय स्थान नहीं है और सब्सिडी के लिए कोई जगह नहीं है, जो लोगों को नुकसान पहुंचाने वाला है-चाहे ईंधन की कीमतों के रूप में हो या बिजली बिल के रूप में। उन्होंने आगे कहा कि हमें वैश्विक बाजारों में ऊंची कीमतों और सब्सिडी के लिए किसी भी राजकोषीय स्थान की उपलब्धता की कमी के संबंध में बिजली और ईंधन की कीमतों में और वृद्धि करनी होगी। हमारे पास अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) कार्यक्रम पर टिके रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। बड़ी बात यह है कि उनका बयान आईएमएफ कार्यक्रम पर वर्तमान सरकार की निर्भरता और लोगों के सामने अपनी बेबसी व्यक्त करने की उनकी मजबूरी को दर्शाता है,जो बिजली के बढ़ते बिलों,ईंधन की बढ़ी कीमतों और लगाए गए करों से गुस्से में हैं। पाकिस्तान में हर दिन अनेक हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं,सरकार की नीतियों को खारिज कर रहे हैं और अपने बिलों का भुगतान करने से इन्कार कर रहे हैं। उनका कहना है कि क्या यह सरकार चाहती है कि हम उन्हें करों और बिलों का भुगतान करें और अपने बच्चों और परिवारों को भूखा छोड़ दें? वे विलासिता,मुफ़्त बिजली और ईंधन का आनंद लेते हैं। इस तरह के करों, बिलों और कीमतों में बढ़ोतरी करके हमें अपनी कब्रों में धकेल रहे हैं। हम इसे अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे। वहीं पाकिस्तानी सरकार ने सार्वजनिक विरोध-प्रदर्शनों से तेज़ी से बिगड़ती स्थिति पर ध्यान दिया है। जनता के बीच व्याप्त उथल-पुथल के बारे में जानकारी देने के लिए आईएमएफ से संपर्क करने का निर्णय लिया है। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक अदनान शौकत ने कहा है कि सरकार को इस स्थिति से बाहर निकलने का रास्ता खोजना होगा, इससे पहले कि यह गृहयुद्ध में बदल जाए। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के बिल न चुकाने से सरकार के कलेक्शन को भी बड़ा झटका लगेगा, जिससे पहले से ही खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को भी नुक़सान होगा। आईएमएफ को इसे समझना होगा और पाकिस्तान को इससे बाहर निकालना होगा। अन्यथा लोग मामलों को अपने हाथों में लेंगे और देश कुछ ही दिनों में बिखर जाएगा।व्यापारियों,व्यापारिक समुदाय और बड़े पैमाने पर जनता ने सरकार की कार्रवाईयों का कड़ा विरोध करने और ज़रूरत पड़ने पर देश को ठप करने की धमकी दी है,जब तक सरकार बढ़े हुए टैक्स,बढ़ी हुई ईंधन कीमतों को वापस नहीं लेती और भारी भरकम बिलों पर राहत नहीं देती है।

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