उम्र के साथ संज्ञान को प्रभावित करने वाले कारकों में धूम्रपान सबसे प्रमुख: अध्ययन
Smoking is the most important factor affecting cognition with age: Study

नई दिल्ली,धूम्रपान करने वाले 85 प्रतिशत लोग सामान्य लोगों के मुकाबले उम्र के साथ संज्ञात्मक कौशल जैसे याददाश्त या बोलने की क्षमता में ह्रास होने का अनुभव कर सकते हैं। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।अनुसंधानकर्ताओं ने इस नतीजे पर पहुंचने के लिए शारीरिक गतिविधि, मद्यपान की आदत, लोगों से घुलने-मिलने की प्रवृत्ति सहित जीवन शैली से जुड़े 16 कारकों का विश्लेषण किया और पाया कि उम्र के साथ संज्ञान के ह्रास के लिए धूम्रपान सबसे अहम कारक हो सकता है।प्रतिष्ठित पत्रिका ‘नेचर कम्युनिकेशन’ में प्रकाशित एक अध्ययन में प्रमुख अनुसंधानकर्ता एवं ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के मिकाएला ब्लूमबर्ग ने कहा, ‘‘हमारे निष्कर्षों से पता चलता है कि जिन स्वस्थ व्यवहारों की हमने जांच की, उनमें धूम्रपान न करना संज्ञानात्मक कार्य को बनाए रखने के मामले में सबसे महत्वपूर्ण हो सकता है।’’
अनुसंधान टीम ने इस नतीजे पर पहुंचने के लिए 14 यूरोपीय देशों के 32 हजार वयस्कों पर 13 साल तक नजर रखी, जिनकी उम्र कम से कम 50 साल थी।अनुसंधान में शामिल प्रतिभागियों को उनके जवाबों के आधार पर, उनकी धूम्रपान की आदतों और उनकी शारीरिक गतिविधियों के आधार पर वर्गीकृत किया गया। यह भी विश्लेषण किया गया कि एक सप्ताह में वे कितनी बार दोस्तों और परिवार से मिलते हैं, साथ ही उनकी शराब पीने की आदत कैसी है।अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि धूम्रपान करने वाले प्रतिभागियों में संज्ञानात्मक कौशल में तेजी से गिरावट आई। करीब 10 साल के विश्लेषण के अनुसार धूम्रपान रहित जीवनशैली अपनाने वाले लोगों के मुकाबले धूम्रपान करने वाले के संज्ञात्मक कौशल में गिरावट की आशंका 85 प्रतिशत तक अधिक थी।धूम्रपान करने वाले जो लोग समाज में घुलना-मिलना पसंद नहीं करते हैं, वे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं और उनके संज्ञात्मक कौशल में 10 साल में एक तिहाई से 50 प्रतिशत तक गिरावट देखी गई।ब्लूमबर्ग ने कहा, ‘‘हमारा अध्ययन केवल अवलोकनात्मक है और इसलिए इसके कारणों और प्रभाव का सटीक आकलन नहीं लगाया जा सकता लेकिन यह संकेत देता है कि धूम्रपान उम्र के साथ संज्ञान को प्रभावित करने में अहम कारक हो सकता है।’’