चन्द्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर रचा इतिहास

देशवासी ख़ुशी से फूले नहीं समा रहे और दे रहे हैं एक दूसरे को और वैज्ञानिकों को बधाई।

(अनवार अहमद नूर)
आज देशवासियों की ख़ुशी का उस समय कोई ठिकाना न रहा जैसे ही ख़बर आई कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्र मिशन के तहत चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल (एलएम) ने चंद्रमा की सतह पर उतरने में सफलता प्राप्त कर ली है। इसी के साथ हमारा भारत पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।
भारत ने इतिहास रच दिया है। लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के निकट सॉफ्ट लैंडिंग करने की सफलता प्राप्त की है। हमारा देश चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा पर उतरने और चार साल में इसरो की दूसरी कोशिश में,एक रोबोटिक चंद्र रोवर को उतारने में सफल रहा है जिसके साथ ही हमारा भारत देश,अमेरिका,चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है। चंद्र सतह पर अमेरिका,पूर्व सोवियत संघ और चीन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’कर चुके हैं लेकिन उनकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर नहीं हुई है। जिसे भारत ने कर दिखाया है।
ज्ञात रहे कि चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 के बाद का मिशन है और इसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित एंव सॉफ्ट-लैंडिंग को दिखाना,चंद्रमा पर विचरण करना और यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोग करना है। जिसने आज सफलता प्राप्त की है। देश में बधाई देने और मिठाइयां बांटने का सिलसिला भी चला।
सबसे अधिक ख़ुशी की बात ये है कि चंद्रयान-2 मिशन सात सितंबर, 2019 को चंद्रमा पर उतरने की प्रक्रिया के दौरान उस समय असफल हो गया था,जब उसका लैंडर ‘विक्रम’ ब्रेक संबंधी प्रणाली में गड़बड़ी होने के कारण चंद्रमा की सतह से टकरा गया था। भारत के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 को 2008 में प्रक्षेपित किया गया था।
भारत ने 14 जुलाई को ‘लॉन्च व्हीकल मार्क-3’ (एलवीएम3) रॉकेट के जरिए 600 करोड़ रुपए की लागत वाले अपने तीसरे चंद्र मिशन-‘चंद्रयान-3’ का प्रक्षेपण किया। इस अभियान के तहत यान 41 दिन की अपनी यात्रा में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफल रहा जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है।
चंद्रयान-3 की निर्धारित ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से कुछ ही दिन पहले चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की दौड़ में रूस उस वक्त पीछे छूट गया, जब उसका रोबोट लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। रूसी लैंडर लूना-25 अनियंत्रित कक्षा में जाने के बाद चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसरो ने 20 अगस्त को कहा था कि उसने चंद्रयान-3 मिशन के एलएम को कक्षा में थोड़ा और नीचे सफलतापूर्वक पहुंचा दिया। उसने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा था, ”दूसरे और अंतिम डीबूस्टिंग (धीमा करने की प्रक्रिया) अभियान में लैंडर मॉड्यूल सफलतापूर्वक कक्षा में और नीचे आ गया है। सॉफ्ट-लैंडिंग की महत्वपूर्ण प्रक्रिया को इसरो अधिकारियों सहित कई लोगों ने ”17 मिनट का खौफ़” करार दिया था। जिसे भारत ने सफलता और खुशी मे बदल दिया है।
चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल और प्रणोदन मॉड्यूल 14 जुलाई को मिशन की शुरुआत होने के 35 दिन बाद सफलतापूर्वक अलग हो गए थे। चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। प्रणोदन और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की कवायद से पहले इसे छह,नौ,14 और16 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में नीचे लाने की कवायद की गई,ताकि यह चंद्रमा की सतह के नज़दीक आ सके। अब 23 अगस्त को चांद पर इसकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने में भारत ने सफलता प्राप्त कर ली है। इससे पहले, 14 जुलाई के प्रक्षेपण के बाद पिछले तीन हफ्तों में पांच से अधिक प्रक्रियाओं में इसरो ने चंद्रयान-3 को पृथ्वी से दूर आगे की कक्षाओं में बढ़ाया। गत एक अगस्त को एक महत्वपूर्ण कवायद में अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा से सफलतापूर्वक चंद्रमा की ओर भेजा गया। तमाम प्रक्रियाओं से गुजरते हुए आज चन्द्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर इतिहास रच दिया है। सभी वैज्ञानिकों और इस मिशन से जुड़े लोगों को बहुत बहुत बधाई।

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