डीयू के 100वें दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों से बोले उप राष्ट्रपति: “विकसित भारत@2047 की कुंजी आपके पास”

डिग्री प्राप्त करने वालों के लिए एक लॉन्च पैड है शताब्दी दीक्षांत समारोह: जगदीप धनखड़

 

विश्वविद्यालय के उच्च मानकों को अपने जीवन में बनाए रखें विद्यार्थी: प्रो. योगेश सिंह

नई दिल्ली, 24 फरवरी।

भारत के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नव ग्रेजुएट विद्यार्थियों से कहा कि विकसित भारत@2047 की कुंजी आपके पास है, इसे अनलॉक करें। उप राष्ट्रपति दिल्ली विश्वविद्यालय के 100वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अपने विस्तृत भाषण में कहा कि गणतंत्र के 75वें साल में ये शताब्दी दीक्षांत समारोह सिर्फ एक समारोह से कहीं आगे है। यह आप सभी के लिए एक लॉन्च पैड है। यह कुछ हद तक श्रीहरिकोटा में इसरो रॉकेट लॉन्च पैड के समान है। यह सुरक्षित लॉन्च पैड आपको न केवल नई मंजिलों तक ले जाएगा, बल्कि इस विश्वविद्यालय में आपके द्वारा एकत्र किए गए अमृत से प्रेरित होकर नई ऊंचाइयों तक भी ले जाएगा। इस अवसर पर समारोह की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने की। इस समारोह के दौरान 2022-23 में अपनी डिग्री पूरी करने वाले यूजी, पीजी व पीएचडी के 138020 और पीएचडी के 659 विद्यार्थी को डिग्री प्रदान की गई।

दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का स्वागत किया। उन्होंने विश्वविद्यायल के 101 वर्षों की गौरावशाली यात्रा का विस्तृत विवरण भी प्रस्तुत किया। उन्होंने ग्रेजुएट विद्यार्थियों से आह्वान किया कि विश्वविद्यालय के नैतिकता, ईमानदारी, कड़ी मेहनत, विनम्रता और दृढ़ संकल्प जैसे उच्च मानकों को अपने जीवन में बनाए रखें। इस अवसर पर चार पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। समारोह के दौरान उप राष्ट्रपति द्वारा 9 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल और पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया।

उप राष्ट्रपति ने अपने विशेष दीक्षांत संबोधन में कहा कि मुझे दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति के रूप में आप सभी के बीच आकर बेहद खुशी महसूस हो रही है। उन्होंने इस महत्वपूर्ण अवसर पर डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों, उनके अभिभावकों, उनके दोस्तों और संकाय सदस्यों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह एक यादगार घटना है! इस बार प्रदान की जाने वाली डिग्री में कई नए अलंकरण होंगे, जिनमें सबसे प्रभावशाली है विद्यार्थी की मां का नाम और विद्यार्थी की रंगीन तस्वीर। डिग्री पर चर्चा करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि इस डिग्री पर करेंसी नोटों की तरह 17 अद्वितीय सुरक्षा फीचर हैं, जिससे उसकी नकल करना मुश्किल होगा। यह हमारी तकनीकी अनुकूलन क्षमता और हमारी तकनीकी क्षमता को दर्शाता है। उन्होंने दीक्षांत परिधान को लेकर चर्चा करते हुए कहा सुखद बात यह है कि यह ड्रेस कोड हमारी संस्कृति से अधिक मेल खाता है। जगदीप धनखड़ ने विद्यार्थियों को सुझाव देते हुए कहा कि डिग्री प्राप्त करने के साथ ही आपकी लर्निंग समाप्त नहीं होती है। आपको हमेशा सीखने में संलग्न रहना है। लर्निंग आजीवन क्रिया है और यह मानवता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है। आप इस महान विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र के रूप में खुद को, अपने माता-पिता को, अपने दोस्तों को, अल्मा मेटर को और राष्ट्र को हमेशा गौरवान्वित करने के दृढ़ संकल्प के साथ निकल रहे हैं।

अपने संबोधन के अंत में उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विद्यार्थियों से आह्वान करते हुए कहा, “याद रखें, आप सभी भारत@2047 की मैराथन यात्रा में एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इसकी सफलता आपके कंधों पर है, मुझे पूरी आशा और विश्वास है कि राष्ट्र सफल होगा, क्योंकि आप असफल होने का जोखिम नहीं उठा सकते। आप न केवल अपनी नियति के निर्माता हैं, बल्कि हमारे साझा भविष्य के भी निर्माता हैं।”

अब कांटैक्ट और रिक्रूटमेंट का मार्ग भ्रष्टाचार नहीं रहा: धनखड़

उप राष्ट्रपति ने कहा कि कानून को लागू करने की क्षमता और जवाबदेही अब नया मानदंड है। कानून का पालन करने वाले नागरिक उत्साहित हैं और इसका उल्लंघन करने वाले भाग रहे हैं। यह भारत का वर्तमान परिदृश्य है। संरक्षण, भाई-भतीजावाद और पक्षपात के दिन अब गए। अब कांटैक्ट और रिक्रूटमेंट का मार्ग भ्रष्टाचार नहीं रहा। जो भारत आपका इंतजार कर रहा है वह सबको समान अवसर प्रदान करता है, आपकी प्रतिभा और कड़ी मेहनत के आधार पर आपको आगे बढ़ने का एक मंच प्रदान कर रहा है। प्रभावशाली युवा मस्तिष्कों को एक समान अवसर मिलने से ज्यादा फायदेमंद कुछ नहीं हो सकता है। आपके पास समान अवसर हैं और आपको इसका फल मिलना ही चाहिए। भ्रष्टाचार सबसे अधिक कमजोर लोगों को प्रभावित करता है, महिलाओं को सबसे अधिक प्रभावित करता है। यह बहुत लंबे समय से हमारे समाज के लिए अभिशाप रहा है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के जो काले बादल लंबे समय से हमारे देश पर छाए रहे, वो अब छंट गए हैं। अवसरों का अर्थ केवल तभी हो सकता है जब उन अवसरों का मुकाबला करने वाले जानते हों कि हमारा मूल्यांकन योग्यता के आधार पर किया जाएगा। समाज के समकालीन कैनवास में, अवसर अब योग्यता से निर्धारित होते हैं न कि संरक्षण से। शासन अब बाधा बनने के बजाय सक्षम बना रहा है। यह खुले तौर पर सुलभ है और बड़े पैमाने पर लोगों की सेवा करता है और केवल विशेषाधिकार प्राप्त कुछ लोगों के लिए नहीं है।

अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर वैश्विक नेता के रूप में उभरा है भारत: उप राष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर भारत एक वैश्विक नेता के रूप में उभरा है। दुनिया अब भारत की नरम कूटनीति को एक स्थिर शक्ति के रूप में पहचानती है। सीमा पार लेनदेन को निर्बाध रूप से सक्षम बनाने के उपायों के बीच हमारी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) जैसी डिजिटल भुगतान प्रणाली लगातार विश्व स्तर पर आकर्षक बन रही है। अब सिंगापुर, मलेशिया, यूएई, फ्रांस, नेपाल, यूके, मॉरीशस और श्रीलंका आदि में भी यूपीआई भुगतान स्वीकार किए जाते हैं। उन्होंने युवाओं से कहा कि आप ऐसी दुनिया में हैं जहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता उन समस्याओं को हल करती है जिन्हें हम असंभव मानते थे। जहां क्वांटम कंप्यूटिंग ब्रह्मांड के रहस्यों को खोलती है। जहां ब्लॉकचेन और मशीन लर्निंग संचार और नेटवर्किंग सिस्टम को प्रभावित कर रहे हैं। प्रौद्योगिकियों की इस क्रांति में भारत सबसे आगे है। राष्ट्रीय क्वांटम मिशन सिर्फ एक उदाहरण है। हम दुनिया के उन सात देशों में से एक हैं जो इस गेम-चेंजिंग तकनीक की सीमाओं को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि उन संभावनाओं के बारे में सोचें जो आपका इंतजार कर रही हैं। बीमारियों से निपटने, क्रांतिकारी सामग्री डिजाइन करने और ब्रह्मांड के रहस्यों को खोलने की कल्पना करें। यह सब आपकी पहुंच के भीतर है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि अपने आप को पारंपरिक रास्तों तक सीमित न रखें। भारत को आपसे न केवल एक कर्मचारी के रूप में, बल्कि नवप्रवर्तक, उद्यमी और परिवर्तनकर्ता के रूप में काफी उम्मीदें हैं।

659 को मिली पीएचडी डिग्री

दिल्ली विश्वविद्यालय के 100वें दीक्षांत समारोह में 659 विद्यार्थियों को पीएचडी की डिग्री प्रदान की गई। इनके अलावा 138020 ग्रेजुएट विद्यार्थियों को भी डिग्रियाँ प्रदान की गई जिनमें 130697 यूजी और 7323 पीजी विद्यार्थी शामिल हैं। इनमें 58545 पुरुष और 79475 महिला विद्यार्थी हैं। ये डिग्रियाँ डिजिटल मोड में प्रदान की गई जबकि मेडल और पुरस्कार मंच से प्रदान किए गए। इस बार डीयू के दीक्षांत समारोह में कुल 207 मेडल/ पुरस्कार प्रदान किए गए जिनमें 173 गोल्ड मेडल एवं सर्टिफिकेट थे और 34 पुरस्कार सर्टिफिकेट थे। इन मैडलों/ पुरस्कारों को प्राप्त करने वाले कुल विद्यार्थियों की संख्या 167 रही जिनमें 110 महिला और 57 पुरुष विद्यार्थी शामिल हैं।

उप राष्ट्रपति के हाथों 9 विद्यार्थियों को प्रदान किए गए मेडल

उप राष्ट्रपति ने मंच से 9 विद्यार्थियों को मैडल और पुरस्कार प्रदान किए। इनमें मिरांडा हाउस की खुशी कुमार को डॉ शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति) गोल्ड मेडल, राजकुमारी अमृत कौर कॉलेज ऑफ नर्सिंग की जिशा श्रीवासत्व को एमएससी नर्सिंग के लिए द प्रेसीडेंट्स गोल्ड मेडल, होली फैमिली कॉलेज ऑफ नर्सिंग की अंजलि शर्मा को बीएससी (ऑनर्स) नर्सिंग के लिए द प्रेसीडेंट्स सिल्वर मेडल, कॉमर्स स्ट्रीम में श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के आदित्य यादव को वाइस चांसलर्स गोल्ड मेडल (फिजिकल चेलेंजड़ स्टूडेंट), साइंस स्ट्रीम में शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीस की प्रेस्ठा हुड्डा को वाइस चांसलर्स गोल्ड मेडल (फिजिकल चेलेंजड़ स्टूडेंट), सेंट स्टीफन कॉलेज से मोनिका को डॉ सीडी देशमुख मेमोरियल गोल्ड मेडल सहित 5 मेडल, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की अन्नेशा चक्रबोरती को आर. विश्वनाथन मेडल-2021 सहित 5 मेडल, मिरांडा हाउस की मीनाक्षी को प्रो. राम बिहारी मेडल सहित कुल 4 मेडल और हिन्दू कॉलेज से मोहम्मद अक्यूब खान को प्रो. आरपी मित्रा गोल्ड मेडल सहित 4 मेडल प्रदान किए गए। समारोह के दूसरे चरण में मेडल और पुरस्कार प्राप्त करने वाले बाकी सभी विद्यार्थियों को डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह द्वारा मेडल/ पुरस्कार प्रदान किए गए। इस अवसर पर दक्षिणी परिसर के निदेशक प्रो. श्री प्रकाश सिंह, एसओएल की निदेशक प्रो. पायल मागो और रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता सहित डींस, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी और अनेकों विद्यार्थी एवं उनके अभिभावक उपस्थित रहे।

 

 

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