नई दिल्ली/चंडीगढ़/अमरावती/बेंगलुरु (एप ब्यूरो)
प्रख्यात वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन के निधन पर शोक जताते हुये राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्होंने अपने पीछे एक समृद्ध विरासत छोड़ी है जो दुनिया को मानवता के लिए एक सुरक्षित और भूख-मुक्त भविष्य की ओर ले जाने में मार्गदर्शक के रूप में काम करेगी।
भारत में हरित क्रांति के जनक स्वामीनाथन (98) का उम्र संबंधी बीमारियों के कारण बृहस्पतिवार को चेन्नई में निधन हो गया था। उनके परिवार में तीन बेटियां हैं।
मुर्मू ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम एस स्वामीनाथन के निधन से मुझे बहुत दुख हुआ। एक दूरदर्शी व्यक्ति, जिन्होंने खाद्य सुरक्षा हासिल करने के लिए अथक प्रयास किया, जिसके लिए उन्हें हरित क्रांति का जनक कहा जाता है, जिसने खाद्यान्न में हमारे देश की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित की।”
राष्ट्रपति ने कहा,’उन्होंने कृषि विज्ञान में अग्रणी अनुसंधान का नेतृत्व किया जिसके लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले – पद्म विभूषण से लेकर प्रतिष्ठित विश्व खाद्य पुरस्कार तक। वह अपने पीछे भारतीय कृषि विज्ञान की एक समृद्ध विरासत छोड़ गए हैं जो विश्व को मानवता के लिए एक सुरक्षित और भूख-मुक्त भविष्य की ओर ले जाने में मार्गदर्शक के तौर पर काम करेगी।
हरियाणा, दिल्ली सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी.देवेगौड़ा
तथा कई नेताओं ने प्रख्यात वैज्ञानिक और भारत में हरित क्रांति के जनक एम.एस.स्वामीनाथन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।
आंध्र प्रदेश के राज्यपाल एस.अब्दुल नजीर, राज्य के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित देश भर के कई नेताओं ने स्वामीनाथन के निधन पर शोक जताया है। भारत में हरित क्रांति के जनक के तौर पर विख्यात 98 वर्षीय स्वामीनाथन का उम्र संबंधी बीमारियों की वजह से बृहस्पतिवार को निधन हो गया। स्वामीनाथन की तीन बेटियां हैं जिनमें डॉ. सौम्या स्वामीनाथन इस समय एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फांउडेशन की अध्यक्ष हैं और पूर्व में विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक भी रह चुकी हैं। उनकी दूसरी बेटी मधुरा स्वामीनाथन बेंगलुरु स्थित भारतीय सांख्यिकी संस्थान में आर्थिक विश्लेषण इकाई की प्रमुख एवं प्रोफेसर हैं जबकि तीसरी बेटी नित्या राव यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंजलिया में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल डेवलपमेंट में लैंगिकता एवं विकास विभाग की प्रोफेसर हैं।
स्वामीनाथन की पत्नी मीना स्वामीनाथन, प्री स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय शिक्षाविद थीं और पिछले साल मार्च में उनका निधन हो गया था।
पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि ‘मैं डॉ.एम एस स्वामीनाथन के निधन की खबर सुनकर दुखी हूं। कई मौकों पर उनकी सलाह से मुझे बहुत लाभ हुआ और हाल में उनसे संपर्क हुआ था। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार एवं मित्रों के साथ है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।’
आंध्र प्रदेश के राज्यपाल नजीर ने कहा कि पद्म विभूषण से सम्मानित स्वामीनाथन प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक, पादप अनुवांशिकी विशेषज्ञ, प्रशासक और मानवतावादी थे जिन्होंने भारत की हरित क्रांति में अहम भूमिका निभाई।
उन्होंने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि ‘‘स्वामीनाथन विस्तृत रूप से भारत की हरित क्रांति में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं जिसके तहत अधिक उपज वाली गेंहू एवं धान की प्रजातियों की रोपाई शुरू की गई।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने स्वामीनाथन की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने अपने दृष्टिकोण से ग्रामीण परिवेश को बदल दिया और वह हरित क्रांति के जनक थे।
उन्होंने कहा कि स्वामीनाथन की यादें हमेशा बनी रहेंगी।
हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी पोस्ट में कहा कि ‘भारतीय हरित क्रांति के जनक, पद्मविभूषण से सम्मानित प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक श्री एमएस स्वामीनाथन जी का निधन भारतीय कृषि जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने कहा कि”उच्च उपज देने वाली फसल की किस्मों एवं आधुनिक तकनीकों को विकसित कर कृषि उत्पादन को उन्नत बनाने में उनका अतुलनीय योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति व दुख की घड़ी में शोकाकुल परिवार को संबल प्रदान करे।’
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा ने भी स्वामीनाथन के निधन पर शोक व्यक्त किया।
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने स्वामीनाथन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया,‘भारत की हरित क्रांति के जनक और प्रणेता डॉ.एम एस स्वामीनाथन जी के निधन पर मेरी ओर से हार्दिक संवेदनाएं। उन्होंने कहा,’कृषि के क्षेत्र में उनके अतुलनीय कार्यों ने भारत को आत्मनिर्भर बनाया और लाखों लोगों को खाद्य असुरक्षा से बचाया और हमारे देश पर एक अमिट छाप छोड़ी। उनकी विरासत पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।’