चुनाव आयोग से आम आदमी पार्टी को मिला राष्ट्रीय दर्जा जबकि कई पार्टियों से छिना नेशनल दर्जा

नए बदलाव के साथ ही देश में अब छह राष्ट्रीय पार्टियां बचीं।

 

एनसीपी, टीएमसी, और सीपीआई से नेशनल पार्टी का दर्जा छिना
-देश में 6 प्रतिशत से कम वोट शेयर होना वजह

-यूपी से राष्ट्रीय लोकदल से राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा वापस लिया गया

(इमरान कलीम)
नई दिल्ली।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी को सोमवार की शाम राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दे दिया है। आयोग ने दिल्ली,पंजाब, गुजरात एवं गोवा में वोट शेयर को देखते हुए यह फैसला लिया हैं। फिलहाल दिल्ली और पंजाब में बड़े बहुमत और बहुत बड़े वोट शेयर के साथ अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सत्ता में है। इसके अलावा गोवा विधानसभा चुनाव में उसे 6.77 फीसदी वोट मिले थे। पिछले साल हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने पांच सीटों पर जीत हासिल की थी। आप को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने से उसके नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों में भारी उत्साह है। चुनाव आयोग के मुताबिक देश में भाजपा, कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, बहुजन समाज पार्टी , नेशनल पीपुल्स पार्टी और आम आदमी पार्टी अब राष्ट्रीय दल हैं। इसके साथ ही ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पश्चिम बंगाल की मुख्य पार्टी तृणमूल कांग्रेस, शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी और सीपीआई से नेशनल पार्टी का दर्जा वापस ले लिया है। इन तीनों पार्टियों का वोट शेयर देशभर में 6 प्रतिशत से कम हुआ है। इस नए बदलाव के साथ ही देश में अब छह राष्ट्रीय पार्टियां बची हैं। इनमें केंद्र की सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी, इंडियन नेशनल कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी), माकपा, एनपीपी और आप। इसके अलावा राष्ट्रीय लोक दल से राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा वापस लिया गया है। जयंत चौधरी की इस पार्टी का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभाव है। चुनाव आयोग ने सोमवार को जारी एक आदेश में उत्तर प्रदेश में रालोद, आंध्र प्रदेश में बीआरएस, मणिपुर में पीडीए, पुडुचेरी में पीएमके, पश्चिम बंगाल में आरएसपी और मिजोरम में एमपीसी को दिया गया राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा भी ख़त्म कर दिया।

बता दें कि राष्ट्रीय पार्टी के लिए आम आदमी पार्टी को गुजरात या हिमाचल में 6 प्रतिशत से ज्यादा वोट शेयर पाने की ज़रूरत थी। गुजरात में आप को करीब 13 प्रतिशत वोट शेयर मिला है। ऐसे में वह नेशनल पार्टी बन गई है। किसी पार्टी को नेशनल पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में 6 प्रतिशत वोट हासिल करना जरूरी होता है। आप इससे पहले 3 राज्यों दिल्ली, पंजाब और गोवा में 6 प्रतिशत से ज्यादा वोट शेयर हासिल कर चुकी है। बता दें कि कुछ दिन पहले ही आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में  कहा गया था कि देरी होने से चुनाव लड़ने की उसकी क्षमता बाधित हो रही है। आप कर्नाटक के संयोजक पृथ्वी रेड्डी द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया है कि पार्टी राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए सभी मानदंडों को पूरा करती है, लेकिन चुनाव आयोग ने यह दर्जा देने से इनकार कर दिया है।
भारतीय चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी , अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का दर्जा रद्द कर दिया। चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक एक राजनीतिक पार्टी को तब राष्ट्रीय स्तर की पार्टी माना जा सकता है अगर वह चार या अधिक राज्यों में एक मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय पार्टी हो।
पिछले हफ्ते ही कर्नाटक हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को 13 अप्रैल तक आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय पार्टी की स्थिति के बारे में उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया था। दूसरी ओर चुनाव आयोग ने जुलाई 2019 में तीनों दलों (टीएमसी, एनसीपी और सीपीआई ) को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इसमें उनसे यह बताने के लिए कहा गया था कि उस वर्ष लोकसभा चुनावों में उनके प्रदर्शन के बाद उनकी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा क्यों नहीं रद्द कर दिया जाना चाहिए।
आपको बता दें कि चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के पैरा 6बी के तहत एक राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय पार्टी के रूप में माने जाने के योग्य है अगर वह चार या अधिक राज्यों में एक मान्यता प्राप्त राज्य पार्टी है। अगर उसके उम्मीदवारों को पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार या अधिक राज्यों में कम से कम 6 फीसदी वैध वोट मिले और उसके पास पिछले चुनाव में कम से कम चार सांसद चुने गए हों या अगर वह कुल लोकसभा चुनाव में कम से कम तीन राज्यों में सीट जीतने के साथ कम से कम 2 फीसदी वोट हासिल करता हो। आम आदमी पार्टी इन नियमों पर पूरा और खरा उतरती है।
चुनाव आयोग के नये आदेश के तहत अब
उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी), पश्चिम बंगाल में रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी), आंध्र प्रदेश में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस), मणिपुर में पीडीए, पुडुचेरी में पीएमके और मिजोरम में एमपीसी का राज्य पार्टी का दर्जा छिन गया है। जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को नगालैंड में, टिपरा मोथा पार्टी को त्रिपुरा में, मेघालय में वॉइस ऑफ द पीपुल पार्टी को राज्य पार्टी की मान्यता मिली है।
राष्ट्रीय पार्टी बनने के नियम के अनुसार किसी पार्टी को तीन नियमों में से कम से कम एक पूरा करने के आधार पर राष्ट्रीय पार्टी का तमगा दिया जाता है। पार्टी को कम से कम चार राज्यों में 6 फीसदी वोट हासिल हुआ हो, और 4 राज्यों में क्षेत्रीय दल का दर्जा हासिल हो। अगर किसी पार्टी का 3 राज्यों में मिलाकर लोकसभा की 3 फीसदी सीटें जीत जाती है तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सकता है। अगर कोई पार्टी 4 लोकसभा सीट के अलावा लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव में 4 राज्यों में छह फीसदी वोट शेयर हासिल करती है तो उसे भी ये दर्जा मिल सकता है। अगर कोई पार्टी इन तीनों शर्तों से किसी एक शर्त को भी पूरा कर देती है तो उसे भी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाता है।
राष्ट्रीय पार्टी को मिलने वाले फायदों की बात करें तो राष्ट्रीय पार्टियां अपना सिंबल या चुनाव चिन्ह देशभर में सुरक्षित कर सकती हैं। राष्ट्रीय पार्टियां चुनाव प्रचार में अधिकतम 40 स्टार प्रचारक रख सकती हैं साथ ही इनके यात्रा खर्च को उम्मीदवार के चुनाव खर्च में नहीं रखा जाता है। राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय पार्टियों को सब्सिडी दर पर पार्टी अध्यक्ष और पार्टी कार्यालय के लिए एक सरकारी बंगला किराए पर मिलता है। इसके अलावा आम चुनावों के दौरान राष्ट्रीय पार्टियों को आकाशवाणी पर प्रसारण के लिए ब्रॉडकास्ट और टेलीकास्ट बैंड्स मिलते हैं। यानी राष्ट्रीय पार्टियों को सरकारी चैनलों पर दिखाए जाने का समय तय होता है। राष्ट्रीय पार्टियों को नामांकन दाखिल करने के लिए केवल एक प्रस्तावक की ज़रूरत होती है। अन्य पार्टियों को दो प्रस्तावक चाहिए। जबकि अनरिकग्नाइज्ड पार्टियों और निर्दलीयों को 5 प्रस्तावकों की ज़रूरत होती है। राष्ट्रीय पार्टियों को मतदाता सूची के दो सेट मुफ्त में दिए जाते हैं। साथ ही इनके उम्मीदवारों को आम चुनावों के दौरान एक प्रति मुफ़्त मिलती है।  राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के बाद  पार्टी के उम्मीदवार अब बैलेट / ईवीएम के उम्मीदवारों के क्रम में में ऊपर नज़र आ सकेंगे।
पूरे देश में अब सिर्फ़ छह राष्ट्रीय पार्टियां
-आम आदमी पार्टी (स्थापना-2012), राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा 2023
-नेशनल पिपुल्स पार्टी (स्थापना-2013), राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा जून 2019
-भारतीय जनता पार्टी (स्थापना-1980), राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा 1980-1984 के बीच
-बहुजन समाज पार्टी (स्थापना-2084), राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा 2004 में मिला
-भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (स्थापना-1925), राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा जून 1952
-कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माक्र्सवादी), स्थापना 1964, राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा 1968

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