पाकिस्तान को वित्तीय मामले में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने दिया झटका
सऊदी अरब, यूएई और कतर ने आर्थिक मदद देने के वादे के बाद भी अब पीछे हटते दिखाई दे रहे हैं।

नई दिल्ली (एप डेस्क)
पाकिस्तान को 6.5 अरब डॉलर के ऋण प्रोग्राम को अनलॉक करने के लिए अब कुछ और शर्तों को पूरा करना होगा और डिफॉल्ट होने से बचने के लिए पाकिस्तान के पास इन शर्तों को मानने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने ऐसा करते हुए कहा है पाकिस्तान शर्तों को पूरा करे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आईएमएफ पाकिस्तान सरकार पर उन देशों से आश्वासन हासिल करने का भी दबाव डाल रहा है जिन्होंने वित्तीय सहायता देने का वादा किया है। सऊदी अरब, यूएई और कतर ने पाकिस्तान को आर्थिक मदद देने का वादा किया था जो अब इससे पीछे हटते नज़र आ रहे हैं। पाकिस्तान इस समय इकलौता दक्षिण एशियाई देश है जिसे आईएमएफ की तरफ से अभी तक बेलआउट हासिल नहीं हुआ है। इस हफ्ते श्रीलंका को आईएमएफ की तरफ से आर्थिक मदद देने का ऐलान हो गया है। अमेरिका बांग्लादेश को भी वित्तीय सहायता देने के लिए तैयार हो गया है। पाकिस्तान के लिए आईएमएफ के प्रतिनिधि एस्तेर पेरेज़ रुइज़ ने कहा है कि ‘कुछ बचे हुए मामले पूरे होने के बाद समझौता हो जाएगा।’पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने पिछले दिनों कहा था कि आईएमएफ बेलआउट पैकेज पर साइन करने से पहले देशों को पाकिस्तान की मदद करने के लिए फंड बढ़ाने को लेकर अपने वादों को पूरे करते हुए देखना चाहता है। पाकिस्तान को जून तक करीब 3 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है, जबकि 4 अरब डॉलर के रोल ओवर होने की उम्मीद है। पाकिस्तान ने कई कड़े उदम उठाए हैं, जिसमें टैक्स और बिजली की कीमतों में भारी वृद्धि शामिल है। आईएमएफ के 6.5 बिलियन डॉलर लोन पैकेज को पुनर्जीवित करने के लिए पाकिस्तान अपनी मुद्रा को कमज़ोर कर रहा है। यह फंड विदेशी मुद्रा भंडार की कमी से जूझ रहे देश को कुछ राहत प्रदान करेगा। आईएमएफ के लिए हमेशा से सबसे बड़ी समस्या पेट्रोल पर दी जाने वाली सब्सिडी रही है। पूर्व पाक पीएम इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से पेट्रोल पर सब्सिडी दिए जाने के बाद आईएमएफ ने कार्यक्रम को रोक दिया था। पाकिस्तान आर्थिक मंदी से दो चार हो रहा है। आपको बता दें कि आईएमएफ एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था है जो अपने सदस्य देशों की वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नज़र रखने का कार्य करती है। यह अपने सदस्य देशों को आर्थिक एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय विनिमय दरों को स्थिर रखने तथा आर्थिक विकास को सुगम बनाने में भी सहायता प्रदान करती है।