असम में चाय बागान की जमीन को चतुराई से बेचा गया । चाय मजदूर संघ, असम के मंत्री संजय किशन के खिलाफ हुए उठ खड़े ।

असम में चाय बागान की जमीन को चतुराई से बेचा गया । चाय मजदूर संघ, असम के मंत्री संजय किशन के खिलाफ हुए उठ खड़े ।

असम में चाय बागान की जमीन को चतुराई से बेचा गया । चाय मजदूर संघ, असम के मंत्री संजय किशन के खिलाफ हुए उठ खड़े ।

पंकज नाथ, असम, 25 नवंबर :

चाय बागान, जो वर्तमान में असम की संपत्ति हैं, तेजी से विनाश के कगार पर हैं। चाय श्रमिकों को तरह-तरह के प्रलोभन देने वाली भाजपा सरकार चाय श्रमिकों के भविष्य को अंधकार में धकेल रही है। चाय बागानों के स्थान पर अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के गठन को लेकर भाजपा सरकार ने कमर कस ली है। पिछले चाय बागान कानून में संशोधन करते हुए अब एक कानून लाया गया है जो चाय बागानों की बिक्री होने पर 10 प्रतिशत चाय बागानों का उपयोग अन्य व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए करने की अनुमति देता है। यह एक ऐसा कानून है जो चाय बागान के भूमि को कम कर देगा और इसे एक समय में समाप्त कर देगा। भाजपा सरकार ने चाय बागानों के मूल्यवान भूमि बेचने के लिए भी कई उपाय किए हैं। चाय के लिए प्रसिद्ध तथा असम के आर्थिक पहलू पर भारी प्रभाव विस्तार किए चाय बागानों को बर्बाद करने की मंशा रखने वाली भाजपा सरकार की इस नीति के खिलाफ कड़ी नाराजगी जताई है असम चाय मजदूर संघ पानीटोला शाखा के सचिव राजू साहू ने । उन्होंने सवाल किया है कि ”भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों, विधायकों, अधिकारियों को जमीन पर इतनी लालसा क्यों है? देश में कानून हैं और सब कुछ कानून के अनुसार चलना चाहिए, लेकिन कानून को धुएं में डालकर इस सरकार के मंत्री और विधायक अलग-अलग समय पर चाय बागान की जमीन को टुकड़ों में बेचने की कोशिश करते रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि खारजन चाय बागान की जमीन इस तरह के हेरफेर के साथ बेची जा रही है। असम के श्रम मंत्री संजय किशन एक मजदूर के बेटे होने के बावजूद वे श्रमिकों को मारने के फैसले का समर्थन क्यों कर रहे हैं, यही आश्चर्यजनक विषय है, वह बताते हैं। 18 नवंबर को असम चाय कर्मचारी भविष्य निधि आयुक्त खारजन चाय बागान की अचल आंशिक संपत्तियों को जब्त करना चाहते थे और जमीन बेचना चाहते थे। असम चाय मजदूर संघ पूरे बाग को जब्त करने या अन्य उपायों पर आपत्ति नहीं करेगा यदि बागान के मालिक ने अभी तक श्रमिकों के भविष्य निधि के पैसे का भुगतान नहीं किया है। लेकिन अलग-अलग बहाने बताते हुए चाय बागान की 100-200 बीघा जमीन की नीलामी करके इस तरह से टुकड़ो में बेचने के लिए मजदूर संघ कभी नहीं देगा । साहू ने सवाल किया कि अगर श्रमिकों की चार करोड़ रुपये की भविष्य निधि का भुगतान नहीं किया गया है तो भविष्य निधि के अध्यक्ष तथा मंत्री संजय किशन ने चाय बागान को एपीजे से बेचने की अनुमति क्यों दी गई। श्रम मंत्री के साथ-साथ भविष्य निधि के अध्यक्ष के रूप में, श्रमिकों की भविष्य निधि का पैसा पहले जमा किया जाना चाहिए था। भविष्य निधि का पैसा जमा किए बिना बगीचे को कैसे बेच दिया गया, इसके पीछे क्या रहस्य है। साहू ने कहा कि अब यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सहायक भविष्य निधि आयुक्त पर रणनीति बनाकर बगीचे में 100/200 बीघा जमीन बेचने का दबाव बना रहे हैं। भाजपा सरकार की गलत नीतियों के कारण 200 साल पुराने इस चाय उद्योग को प्रतिष्ठित कंपनियों द्वारा सैकड़ों चाय बागान बेचे जा रहे हैं और अगर भाजपा लंबे समय तक सत्ता में रही, तो चाय बागान नष्ट हो जाएगा, चाय श्रमिक नेता राजू साहू ने इस बात का उल्लेख किया हैं।

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