20 मार्च अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस : ख़ुशहाली से बहुत दूर हैं भारतवासी
137 देशों की लिस्ट में भारत 125वें स्थान पर है

नई दिल्ली (अनवार अहमद नूर)
इसे प्रसन्नता कहो,ख़ुशी कहो,या फिर सुखी एवं सार्थक जीवन वाला दिवस कहो सबका अर्थ एक ही बनता है सुखी यानि ख़ुशहाली। बीस मार्च को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस (International Day of Happiness) के रूप में मनाया जाता है। इस उत्सव के पीछे का विचार जीवन के प्रमुख घटकों के रूप में प्रसन्नता और भलाई के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। दुनिया भर के लोगों में खुशी के महत्व के प्रति जागरूकता को बढ़ाने के लिए है इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के रूप में मनाने का संकल्प संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 12 जुलाई 2012 को लिया था।अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा एक “मौलिक मानव लक्ष्य” के रूप में प्रसन्नता को मान्यता देने और आर्थिक विकास और सभी लोगों की भलाई के लिए एक अधिक समावेशी, संतुलित और न्यायसंगत दृष्टिकोण के प्रस्ताव को अपनाने के बाद पहली बार 2013 में मनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सतत विकास लक्ष्य गरीबी को समाप्त करने, असमानता को कम करने और हमारे ग्रह की रक्षा करने के लिए व्यापक रूप से प्रमुख पहलुओं के रूप में देखे जाते हैं जो प्रसन्नता लाते हैं। सुखी और सार्थक जीवन जीना सभी का सबसे मूल लक्ष्य है। प्रसन्नता के महत्व पर पुनः जोर देने के लिए, संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस की थीम घोषित की है। वर्ष 2023 के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस की थीम ‘बी माइंडफुल, बी ग्रेटफुल, बी काइंड’ है। अन्तर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के अवसर पर वार्षिक ख़ुशहाली रिपोर्ट जारी की गई है। 137 देशों की लिस्ट में भारत 125वीं पादान पर है। भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान (108), म्यांमार (72), नेपाल(78), बांग्लादेश (102) और चीन (64) को लिस्ट में भारत से ऊपर रखा गया है। रिपोर्ट में फिनलैंड को दुनिया का सबसे खुशहाल देश बताया गया है। उसे लगातार छठवीं बार पहला स्थान मिला है। इस लिस्ट में अफगानिस्तान को 137वां यानी अंतिम स्थान मिला है। रिपोर्ट के मुताबिक, वहां के लोग सबसे ज्यादा दुखी हैं। सबसे कम खुशहाल देशों की लिस्ट में दूसरे देश- लेबनान, जिम्बॉब्वे, द डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो आदि देश हैं। इन देशों में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है और लोगों में लंबा जीवन जीने की आशा काफी कम है।
ये रिपोर्ट यूनाईटेड नेशन (यूएन) सस्टेनेबल डेवलपमेंट सोल्युशंस नेटवर्क ने जारी की है। ये 150 से ज्यादा देशों के लोगों पर किए गए ग्लोबल सर्वे डाटा के आधार पर बनाई जाती है।
इसमें जीडीपी पर कैपिटा, सोशल सपोर्ट, जीवन प्रत्याशा, आजादी, भ्रष्टाचार और उदारता जैसे फैक्टर्स का विशेष ध्यान रखा जाता है। रूस-यूक्रेन में पिछले एक साल से जंग चल रही है। फिर भी हैप्पीनेस इंडेक्स में उनकी पोजिशन भारत से बेहतर है। रूस को 70वें और यूक्रेन को 92वें नंबर पर रखा गया है। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होने के बाद भी भारत लिस्ट में काफी निचले पायदान पर रहता है। ऐसे में कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि भारत संकट में फंसे देशों से भी नीचे क्यों हैं-?
खुशी कह लें या फिर आनंद, सुख या प्रसन्नता- इंसान की सबसे बड़ी चाह यही है। हम न सिर्फ़ अपने लिए, बल्कि सबके लिए यही चाहते हैं। आखिर अपने आसपास दुखी, उदास और निराश लोग कौन देखना चाहता है! सभी चाहते हैं कि हम सदा खुश रहें। पर ऐसा सम्भव नहीं हो पाता है। इसके कारणों और तथ्यों पर चिंतन मनन और खोज करना तथा उसके पश्चात ख़ुशहाली के लिए उपाय करना ये सब शासन प्रसाशन और सरकारों के काम हैं।