किसान महापंचायत की चेतावनी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानीं गईं तो फिर आंदोलन करना पड़ेगा

दिल्ली के रामलीला मैदान में संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत हुई

नई दिल्ली (ब्यूरो चीफ़)

किसानों ने कृषि मंत्री को न्यूनतम समर्थन मूल्य, कर्ज माफी जैसी मांगों का पत्र सौंपते हुए अपनी महापंचायत में चेतावनी दी कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो उन्हें फिर आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। दिल्ली के रामलीला मैदान में सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से बुलाई गई महापंचायत में दोपहर को मोर्चे के प्रतिनिधिमंडल ने कृषि भवन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की।
किसान नेता दर्शन पाल ने महापंचायत में किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि अभी कई मुद्दे हैं, जिनका समाधान निकाला जाना बाकी है। हम 30 अप्रैल को दिल्ली में एक और बैठक बुलाएंगे। सभी किसान संगठनों से मेरी अपील है कि अपने राज्यों में रैलियां निकालें, पंचायतें करें। अगर सरकार हमारी मांगें नहीं मानती है तो हम एक और आंदोलन शुरू करेंगे। यह आंदोलन कृषि कानूनों के विरोध में हुए आंदोलन से भी बड़ा होगा।
संयुक्त किसान मोर्चा के कार्यकर्ता केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार ने उत्पादन की कुल लागत पर पचास प्रतिशत एमएसपी लागू करने का लिखित आश्वासन दिया था। इसके लिए सरकार ने जो कमेटी बनाई थी, उसमें 26 सदस्य इंडस्ट्रियल घरानों के पक्ष में थे। ऐसे में किसान इस कमेटी का भी विरोध कर रहे हैं। किसान नेता राकेश टिकैत ने बताया कि इस महापंचायत में 32 किसान संगठन शामिल हुए हैं। महापंचायत से पहले किसानों ने कहा था कि हमारा आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं कर देती। उन्होंने बताया कि सरकार ने हमने से जो वादे किए थे, वो अभी तक पूरे नहीं हुए हैं। सरकार किसानों को दोबारा आंदोलन करने के लिए मजबूर कर रही है। बता दें कि किसान कर्ज माफी, 5000 रुपए की हर महीने पेंशन, सिंचाई के लिए 300 यूनिट मुफ्त बिजली और एमएसपी की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मामले वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

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