विविधता के बीच सद्भाव का अस्तित्व संभव है : पीएम मोदी

नई दिल्ली (एप न्यूज़ डेस्क)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत ने दिखाया है कि विविधता के बीच सद्भाव का अस्तित्व संभव है। पीएम मोदी ने फ्रांसीसी समाचार पत्र ‘लेस इकोस’ को दिए एक साक्षात्कार में भारत को उसका उचित स्थान देने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रणाली और संस्थानों में समायोजन की स्वाभाविक अपेक्षा को रेखांकित किया और कहा कि भारत का युवा और कुशल कार्यबल खुलेपन व लोकतांत्रिक मूल्यों से लबरेज है तथा वह प्रौद्योगिकी को अपनाने व बदलती दुनिया के अनुकूल होने के लिए उत्सुक है। उन्होंने कहा कि”जब दुनिया के कई देश बूढ़े हो रहे हैं और उनकी आबादी घट रही है, भारत का युवा और कुशल कार्यबल आने वाले दशकों में दुनिया के लिए एक संपत्ति होगा। अद्वितीय सामाजिक और आर्थिक विविधता के साथ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में,हमारी सफलता यह प्रदर्शित करेगी कि लोकतंत्र का प्रतिफल सामने आता है। विविधता के बीच सद्भाव का होना संभव है।’यह पूछे जाने पर कि दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने के साथ वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति कैसे बदलती है,उन्होंने कहा कि मानवता के छठे हिस्से की प्रगति दुनिया को अधिक समृद्ध और टिकाऊ भविष्य देगी। उन्होंने कहा कि’शांति,खुलेपन, सद्भाव और सह-अस्तित्व के हमारे गहरे मूल्य,हमारे जीवंत लोकतंत्र की सफलता,हमारी संस्कृति,परंपराओं और दर्शन की असाधारण समृद्धि,एक शांतिपूर्ण,निष्पक्ष और न्यायपूर्ण दुनिया के कारण के लिए एक सुसंगत आवाज और अंतरराष्ट्रीय कानून और शांति के लिए हमारी प्रतिबद्धता ही वे कारण हैं जिनकी वजह से भारत के उदय का स्वागत किया जाता है न कि दुनिया में इसका कोई डर है।
पीएम मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि वह इसके बजाय इसे भारत के, विश्व में अपना उचित स्थान पुन: प्राप्त करने के रूप में वर्णित करेंगे क्योंकि प्राचीन काल से ही भारत वैश्विक आर्थिक विकास, तकनीकी प्रगति और मानव विकास में योगदान देने में सबसे आगे रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा जनसांख्यिकीय लाभांश,लोकतंत्र में हमारी गहरी जड़ें और हमारी सभ्यतागत भावना भविष्य की ओर बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करेंगी। हम वैश्विक चुनौतियों से निपटने, अधिक एकजुट विश्व के निर्माण, कमजोर की आकांक्षाओं को आवाज देने और वैश्विक शांति एवं समृद्धि को आगे बढ़ाने में योगदान देने की अपनी ज़िम्मेदारी को समझते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज वैश्विक मान्यता है कि भारत दुनिया में अच्छाई की ताकत है और वह वैश्विक एकता, सामंजस्य,शांति और समृद्धि के लिए अपरिहार्य है,ऐसे समय में जब दुनिया में भारी उथल-पुथल और विखंडन का ख़तरा है। उन्होंने कहा कि हमारी क्षमताएं और संसाधन मानवता की भलाई के लिए निर्देशित होते रहेंगे,न कि दूसरों के ख़िलाफ़ दावे करने या अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौती देने के लिए।