भारत को तोड़ने वालों का नहीं बल्कि स्वतंत्रता सेनानियों का इतिहास पढ़ाया जाए : कुलपति प्रो. योगेश सिंह
डीयू में प्रो. के.एल. जोहर की पुस्तक “उत्तर प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी” का विमोचन हुआ

नई दिल्ली (एप ब्यूरो)
दिल्ली विश्वविद्यालय में ‘उत्तर प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानियों’ पर आधारित प्रो. के.एल. जोहर की पुस्तक “उत्तर प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी” का विमोचन यूपी विधानसभा अध्यक्ष और डीयू कुलपति के कर कमलों द्वारा हुआ।
पुस्तक विमोचन के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि दूसरों की पीड़ा को अपनी समझने वाले लोग ही सही मायनों में स्वतंत्रता सेनानी थे। उनके बलिदानों के कारण ही आज हम लोग इन पदों पर बने हुए हैं। इस अवसर पर सतीश महाना और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह द्वारा संयुक्त रूप से “उत्तर प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी” पुस्तक के दो भागों का विमोचन किया गया। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,हिसार के पूर्व कुलपति प्रो.के.एल.जोहर द्वारा लिखित उक्त पुस्तक का विमोचन समारोह दिल्ली विश्वविद्यालय के कन्वेंशन हॉल में हुआ। समारोह की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.योगेश सिंह ने कहा कि इन पुस्तकों का उद्देश्य राष्ट्रभक्त स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति आदर का भाव पैदा करना है,उन्होने कहा कि भारत को तोड़ने वालों का नहीं बल्कि स्वतंत्रता सेनानियों का इतिहास पढ़ाया जाना चाहिए।
मुख्य अतिथि सतीश महाना का स्पष्ट कहना था कि आज़ादी की लड़ाई केवल कुछ ही लोगों नें नहीं लड़ी, बल्कि इसमें सबका योगदान था।आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल के नहीं मिली। उन्होने स्वतंत्रता सेनानियों की क़ुर्बानियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि जिन्होंने अपनी जान दी,उनका उद्देश्य किसी को नुकसान पहुँचाने के लिए हिंसा करना नहीं था। बल्कि देश की आज़ादी था। उन्होंने भगत सिंह द्वारा असेंबली में बम फेंकने की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि वह धमाका केवल आवाज़ पैदा करने के लिए था,न कि किसी को नुकसान पहुँचाने के लिए। महारानी लक्ष्मी बाई,अजीज़न बाई,झलकारी देवी और नीरा आर्य जैसी महिलाओं के बलिदान को याद करते हुए उन्होने कहा कि देश की आज़ादी में महिलाओं का भी बहुत बड़ा योगदान है। सावरकर को लेकर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे लोग जो गुमनामी के अंधेरे में खो गए और अपनी पहचान को छुपाकर काम किया,उनके विचारों और उनकी इच्छा को समझने की ज़रूरत है। शहीदों को किसी सीमा के अंदर नहीं बांधा जा सकता,ये सभी एक तार से जुड़े होते हैं। उन्होने कहा कि टीवी पर ऐसे लोगों को अधिक दिखाया जाता है जो समाज पर ज़्यादा कुठाराघात करते हैं,जबकि शहीदों को थोड़ी देर ही दिखाया जाता है। इसीलिए ऐसी पुस्तकों का लिखा जाना ज़रूरी है। उन्होंने पुस्तक के लेखक प्रो.के.एल.जोहर को इन पुस्तकों के लेखन के लिए बधाई देते हुए कहा कि अपने 87 वर्षीय जीवन में जोहर साहब ने अनेकों पुस्तकें लिखी हैं जिनमें से 20 पुस्तकें स्वतंत्रता संग्राम को लेकर लिखी गई हैं।
समारोह के अध्यक्षीय भाषण में दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.योगेश सिंह ने कहा कि दो सौ ढाई सौ दिनों में 207 स्वतंत्रता सेनानियों पर दो भागों में इतनी बड़ी किताब लिखना बहुत बड़ी बात है। इसके लिए प्रो.के.एल. जोहर बधाई के पात्र हैं।
इस अवसर पर प्रो.योगेश सिंह ने कहा कि व्यक्ति का जीवन बहुत छोटा होता है जबकि किताबों का जीवन बहुत लंबा होता है। किताबों के माध्यम से किस तरह अच्छे मनों का निर्माण किया जा सकता है,ये पुस्तकें उसकी मिसाल हैं।
उत्तर प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी पुस्तक के लेखक प्रो. के.एल. जोहर ने पुस्तक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि हिंदी में लिखी गई यह पुस्तक दो भागों में है। पुस्तक में उत्तर प्रदेश के उन 207 व्यक्तियों का जीवन चरित्र प्रस्तुत किया गया है,जिन्होंने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर 1947 तक देश के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होने कहा कि पुस्तक को पढ़ने से पाठक को यह अंदाज़ा हो जाएगा कि भारत की पवित्र भूमि से ब्रिटिश साम्राज्यवाद के भवन को उखाड़ने के लिए इन वीरों ने किस तरह अनकही पीड़ा सही और बलिदान दिये। प्रो.जोहर ने कहा कि लेखक के लिए सबसे बड़ा पुरस्कार यह है कि पाठक उसकी लिखी पुस्तक को पढ़ें। उन्होने बताया कि इन पुस्तकों के अलावा उन्होने दो दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखी हैं जिनमें “रेलेवेंस ऑफ सुभाष बोस टुडे”और “शहीद भगत सिंह” शामिल हैं,जिन्हें व्यापक रूप से सराहा गया है।
इस अवसर पर चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय,भिवानी के कुलपति प्रो.राज कुमार मित्तल और शहीद भगत सिंह के भतीजे किरणजीत सिंह ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। समारोह के दौरान मंच संचालन शहीद भगत सिंह के भानजे प्रो.जगमोहन सिंह द्वारा किया गया। समारोह के अंत में प्रो.जोहर के बेटे विक्रम जोहर ने धन्यवाद दिया।
समारोह के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय दक्षिणी दिल्ली परिसर के निदेशक प्रो.प्रकाश सिंह और कुलसचिव डॉ.विकास गुप्ता सहित बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो.अनु सिंह लाठर,जे.सी बोस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एसके तोमर,हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.टंकेश्वर,सीसीएस एचएयू के कुलपति प्रो.बीआर काम्बोज और प्रो.प्रदीप दुबे सहित कई विश्वविद्यालयों के कुलपति, डीयू के डीन,प्रिंसिपल,निदेशक,शिक्षक,विधायक और अधिकारी उपस्थित रहे और इस साहित्यिक समारोह की शोभा बढ़ाई।