मणिपुर के जातीय संघर्ष की आंच दिल्ली विश्वविद्यालय में पहुंची

कुकी छात्रों ने मैईती समूह द्वारा हमले का लगाया आरोप

नई दिल्ली (संवाददाता)

देश का एक भाजपा शासित राज्य मणिपुर जो आजकल हिंसा की चपेट में है और पुलिस व सेना वहां शांति स्थापित करने के अथक प्रयास कर रही है लेकिन मणिपुर में जातीय संघर्ष को लेकर अभी तनाव कम नहीं हुआ है और इसका असर दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस इलाके में भी देखने को मिला है। यहां रहने वाले कुकी छात्रों के एक ग्रुप ने मैईती समूह के एक ग्रुप द्वारा हमले का आरोप लगाया है। जैसा कि सभी जान रहे हैं कि अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में बहुसंख्यक मैईती समुदाय को शामिल करने को लेकर विरोध किया गया है। इन विरोध प्रदर्शनों में पूर्वोत्तर राज्य के कुछ ज़िलों में अंतर-सामुदायिक संघर्ष हुए हैं जिसके तुरंत बाद राज्य में बड़े पैमाने पर हिंसा और आगज़नी हुई है। इसके बाद यह घटना हुई है।
दिल्ली में शुक्रवार को छात्रों ने दावा किया कि उन्होंने मौरिस नगर पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करने की कोशिश की और जब पुलिस ने शिकायत दर्ज करने से इंकार कर दिया तो छात्रों ने थाने के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस ने कहा कि स्थिति अब नियंत्रण में है और कार्रवाई शुरू कर दी गई है और इस सिलसिले में कुछ छात्रों को हिरासत में लिया गया है। दिल्ली में छात्रों के बीच हुए इस मामले को पुलिस ने गंभीरता से लिया है। और वह इस तरह की हर हरकत पर नजर रखे हुए है।
आपको बता दें कि मणिपुर में मैतई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका भी डाली हुई है। मैतई समुदाय की दलील है कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था और उससे पहले मैतेई को यहाँ जनजाति का दर्जा मिला हुआ था। लेकिन जो जनजातियां हैं, वे मैतई समुदाय को जनजाति का दर्जा देने का विरोध कर रही हैं। इन जनजातियों का कहना है कि मैतई जनसंख्या में भी ज़्यादा हैं और राजनीति में भी उनका दबदबा है. जनजातियों का कहना है कि मैतेई समुदाय आदिवासी नहीं हैं।

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