स्वदेशी वस्तुओं के प्रचार-प्रसार के लिए प्रतिबद्ध है सरकार: मांझी
The government is committed to promoting indigenous goods: Manjhi

नई दिल्ली,केंद्रीय सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार स्वदेशी उत्पादों के प्रचार-प्रसार को लेकर जोर-शोर से काम कर रही है और हम स्वदेशी वस्तुओं का उत्पादन करने वाले उद्यमियों की भी हर तरह से मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। श्री मांझी ने शनिवार को यहां के प्रतिगति मैदान में चल रहे 43वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला 2024 में भारत मंडपम के हॉ़ल नंबर छह में खादी इंडिया के पवेलियन का उद्घाटन किया। इस मौके पर एमएसएमई राज्यमंत्री शोभा करंदलाजे और खादी ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष मनोज कुमार सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। इस दौरान श्री मांझी कई स्टॉलों पर गए और उद्यमियों से बात कर के उनकी समस्याएं सुनी तथा उन्हें सरकार की ओर से हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा कि श्री मोदी केंद्र में सत्ता में आने के बाद स्वदेशी वस्तुओं के उत्पादन जोर दे रहे हैं तथा देश और विदेशों में भारतीय उत्पादों का प्रसार-प्रसार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वदेशी वस्तुओं का उत्पाद करने वाले उद्यमियों को सरकार की ओर से एक करोड़ रुपये तक का मुद्रा ऋण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार खादी सहित विभिन्न तरह के स्वदेशी वस्तुओं का उत्पाद करने वाले उद्यमियों की हर तरह से मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस बार यहां ‘नये भारत की नई खादी’ की विकास यात्रा, खादी का कल और आज के साथ ही अमृत काल में नये भारत की नई खादी के नये वस्त्र कैसे है, का चित्रण किया गया है।इस वर्ष खादी पवेलिन में कुल 225 स्टॉल स्थापित किये गये हैं, जिनमें विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अलग-अलग क्षेत्रों के कारीगरों द्वारा निर्मित उत्पादों द्वारा भारत की समृद्ध विरासत, शिल्प कौशल तथा हस्तकला को प्रदर्शित किया गया है। इन स्टालों में से लगभग 40 प्रतिशत स्टॉल ‘खादी’ निर्माण से जुड़ी संस्थाओं को आवंटित हैं और शेष लगभग 60 प्रतिशत स्टॉल ग्रामोद्योग, पीएमईजीपी और स्फूर्ति की इकाइयों हेतु आवंटित हैं।
इस वर्ष व्यापार मेले में भाग लेने वाले स्टॉल में खादी के कपड़े तथा डिजाइनरों द्वारा तैयार वस्त्र, सौंदर्य प्रसाधन, हस्तशिल्प, शहद, चमड़े के जूते, रत्न और आभूषण, बनारसी गुड़, लकड़ी के खिलौने, आयुर्वेद, बांस, पापड़, अचार, जड़ी-बूटियों से निर्मित हेयर ऑयल, विभिन्न प्रकार की नेचुरल चाय आदि की इकाइयां शामिल हैं।
इस वर्ष खादी पवेलियन में उत्तर प्रदेश की सबसे ज्यादा 48 इकाइयों, दिल्ली की 20, कर्नाटक की 17, पश्चिम बंगाल की 15, उत्तराखंड की 12, महाराष्ट्र की नौ स्टॉल हैं। इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में खादी एवं ग्रामोद्योग तथा प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) की इकाइयों द्वारा अत्पादित हस्तशिल्प में वाराणसी से बनारसी सिल्क साड़ी, कश्मीर से पश्मीना शॉल, गुजरात से पटोला सिल्क, पूर्वोतर से एरी सिल्क और मूंगा सिल्क, पश्चिम बंगाल से टसर, तमिलनाडु से कांचीपुरम, कर्नाटक से मलबेरी, मध्यप्रदेश से चंदेरी साड़ी और बिहार से भागलपुरी सिल्क प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। इसके अलावा धातु की कारीगरी से निर्मित डेकोरेटिव आइटम, लेदर से बने उत्पाद, गृह महिलाओं द्वारा निर्मित आचार और पापड़, मिट्टी के बने उत्पाद, कॉस्मेटिक के सामान इत्यादि भी आकर्षण का केंद्र है।
खादी पवेलियन में स्टॉल लगाने वाले बिहार में भागलपुर से इस्माइल ने ‘यूनीवार्ता’ से बातचीत करते हुए अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला का हिस्सा बनने पर प्रसन्नता व्यक्ति की और बताया कि मैने कॉर्नर वाले स्टॉल के लिए आवेदन किया था, लेकिन मुझे कॉर्नर वाला स्टॉल नहीं मिला। उन्होंने बताया कि कॉर्नर वाले स्टॉल मिलने से कारोबार दोगुना होता है, लेकिन कोई बात नहीं इतने बड़े मंच पर अपने वस्तुओं को प्रदर्शित करना का मौका मिलना भी बड़ी बात है। उन्होंने बताया कि वह इससे पहले भी यहां स्टॉल लगा चुके हैं और इससे उनके कारोबार को काफी प्रोत्साहन मिलता है।