सोशल मीडिया निगरानी के नाम पर असम सरकार लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीनने की कोशिश कर रही है: आप

पंकज नाथ, असम, 11 नवंबर : हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली सरकार के चेले, सहयोगी से कुछ समाचार संगठनों, समाचार पोर्टलों को खरीदकर पूरे भारत में भाजपा विरोधी लहर को कवर करने की पूरी कोशिश करने के बावजूद सोशल मीडिया पर भाजपा की करतूतों का पर्दाफाश होता रहा है। केंद्र सरकार ने 9 अप्रैल, 2023 को आईटी अधिनियम में संशोधन किया। इसे देखते हुए सरकार के निगरानी समूह के पास किसी भी सोशल मीडिया की सामग्री को संभावित हानिकारक विषय के रूप में हटाने या नियंत्रित करने की शक्ति है। सवाल यह है कि क्या सरकार विरोधी, भाजपा विरोधी सामग्री को नियंत्रित करने के परिणामस्वरूप सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले कई लोगों के पोस्ट या सामग्री का प्रसार न्यूनतम रहा है ৷ आम आदमी पार्टी की असम इकाई के अध्यक्ष डॉ. भबेन चौधरी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि भाजपा ने संविधान द्वारा दी गई लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को खत्म कर दिया है। 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार जिस मुख्य उपकरण के साथ सत्ता में आई थी, सोशल मीडिया मुख्य उपकरण था, इसलिए भाजपा अपनी ताकत को अच्छी तरह से जानती है। इस सरकार ने अलग-अलग मौकों पर भाजपा विरोधी सच फैलाने वाले लोगों को भी कानूनी लपेटे में जेल भेजा है। सोशल मीडिया पर एक कविता और एक वाक्य लिखने के कारण आम जनता को महीनों तक जेल में डाल दिया गया । अब फिर से असम सरकार ने एसएमआरटी बनाने के लिए जनता के पैसे का दुरुपयोग किया है। यह भाजपा द्वारा फिर से सरकार बनाने के लिए रची गई साजिश है। आप असम ने सरकार के इस जनविरोधी कृत्य की निंदा की है और सरकार को चेतावनी दी है कि वे लोकतंत्र की हत्या में अपना हाथ आगे न बढ़ाये।