भारत की गोल्ड मेडलिस्ट स्टार बॉक्सर निक़हत ज़रीन की संघर्ष भरी सफलता
(अनवार अहमद नूर की कलम से)हज़ारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है,बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा

जी हाँ ये बात बिल्कुल सटीक बैठती है भारत की स्टार बॉक्सर निक़हत ज़रीन पर जिसने दिल्ली में चल रही वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में लगातार दूसरा गोल्ड मेडल जीता और दुनिया भर में शोहरत हासिल करने के साथ साथ भारत का सिर सम्मान से ऊँचा कर दिया। पचास किलोग्राम वेट कैटेगरी में बतौर डिफेंडिंग चैंपियन उतरी 26 साल की निक़हत ज़रीन ने वियतनाम की दो बार की एशियन चैंपियन गुयेन थीताम को 5-0 से हराया। जीतने के बाद निक़हत ज़रीन ने जो शब्द कहे वह निकहत जरीन के सम्पूर्ण जीवन और संघर्ष को प्रकट करते हुए देश के प्रति उनकी निष्ठा और प्रेम को साबित करते हैं उन्होंने कहा कि मैं दूसरी बार विश्व चैंपियन बनकर बेहद खुश हूं, खासकर एक अलग वेट कैटेगरी में। इस टूर्नामेंट में मुकाबला सबसे कठिन मुकाबला था और चूंकि यह टूर्नामेंट का आखिरी मैच था, इसलिए मैं अपनी ऊर्जा का पूरी तरह से उपयोग करना चाहती थी और सब कुछ रिंग में छोड़ देना चाहती थी। यह बाउट का एक रोलर कोस्टर था, जिसमें हम दोनों को चेतावनी के साथ-साथ 8 काउंट भी मिले और यह बहुत करीबी मैच था। अंतिम राउंड में मेरी रणनीति थी कि मैं पूरी ताकत से आक्रमण करूं और जब विजेता के रूप में मेरा हाथ उठा, तो मुझे बेहद खुशी हुई। यह पदक मेरे देश और उन सभी के लिए है, जिन्होंने पूरे टूर्नामेंट में हमारा समर्थन और हमारी हौसला अफजाई की है। सभी भारतीयों से यही कहना चाहूंगीं कि आप मुझे ऐसे ही सपोर्ट करते रहो और मैं ऐसे ही देश का नाम ऊंचा करती रहूंगी।’
मुस्लिम परिवेश से निकल कर मुक्केबाज़ी के क्षेत्र आना निकहत ज़रीन का एक अपने आप में एक करिश्मा और आश्चर्य जनक रिकार्ड है। आज के वक्त में निकहत ज़रीन बहुत मशहूर भारतीय महिला मुक्केबाज़ हैं। इन्होंने 2011 के एआईबीए महिला युवा और जूनियर विश्व चैंपियनशिप में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता। हाल ही में बैंकॉक में आयोजित थाइलैंड ओपन इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में ज़रीन ने रजत पदक प्राप्त किया। निक़हत ज़रीन का बॉक्सिंग जीवन का सफर, उम्र, वजन, शिक्षा, परिवार, माता-पिता, बॉयफ्रेंड, इनकी उपलब्धियाँ, प्राप्त सम्मान एवं अवार्ड्स, उनको भारत का एक महान व्यक्तित्व बनाता है। निक़हत ज़रीन को मुक्केबाजी में बहुत ही रूचि है। ज़रीन ने बचपन से मुक्केबाजी सीखना शुरू कर दिया था। साल 2011 इन्होने अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी एसोसिएशन (शौकिया) महिला युवा एवं जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल प्राप्त किया था। बॉक्सिंग के साथ ही वो स्पोर्ट्स कोटा से बैंक ऑफ़ इंडिया की बैंक कार्यकर्ता भी हैं। इन्होने अपने मुक्केबाजी के करियर में कई कांस्य, रजत व स्वर्ण पदक प्राप्त किये हैं। साथ ही इनको राज्य सरकार व अलग-अलग संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
निक़हत ज़रीन के परिवार से जुड़ी बात करें तो पता चलता है कि निक़हत ज़रीन के पिता क्रिकेटर रह चुके हैं। निक़हत ज़रीन का जन्म 14 जून 1996 को तेलांगना के निज़ामाबाद के एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था। इनके पिताजी का नाम मुहम्मद जमील और माता का नाम परवीन सुल्ताना है। इनके अलावा इनके परिवार में 3 और बहने भी हैं, जिनका नाम अंजुम ज़रीन, मिनाज ज़रीन और एक बहन निक़हत ज़रीन से छोटी अफनान ज़रीन है वो बैडमिंटन खिलाडी है। और इनकी दोनों बड़ी बहनें डॉक्टर हैं। निक़हत ज़रीन शुरुआती जीवन उनके गृहनगर निज़ामाबाद, तेलंगाना में ही बीता है। यहीं से इन्होने अपनी शुरुआती शिक्षा प्राप्त की है। इन्होने अपनी शुरुआती शिक्षा अपने गांव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय से प्राप्त की है और आगे कीशिक्षा निर्मला हृदय गर्ल्स हाई स्कूल निज़ामाबाद से प्राप्त की और इसके बाद उच्च शिक्षा इन्होने एवी कॉलेज हैदराबाद तेलंगाना से ही की है। इन्होने एवी कॉलेज हैदराबाद तेलंगाना से कला में स्नातक पास किया है निक़हत ज़रीन की रूचि को देखकर इनके पिता और चाचा ने इनको बॉक्सिंग के क्षेत्र में कदम रखवाया। इनके चाचा इनके भाइयों के साथ ही इन्हे भी ट्रैनिंग देने लगे। और इनके पिता और चाचा ने हमेशा इनको प्रोत्साहित किया वहीं इनकी माँ को चिंता लगी रहती जिस कारण वो निक़हत ज़रीन के बॉक्सिंग से डरती थी। निक़हत ज़रीन कहती हैं कि उन्होंने जब तय किया कि उनको क्या करना तो, तब मैंने सोच लिया था कि मुझे लोगों को दिखाना है कि एक लड़की भी बॉक्सिंग कर सकती है। निक़हत ज़रीन के बॉक्सिंग करियर में कई रुकावटें भी आई। एक मुस्लिम परिवार से होने के कारण उनके परिवार में और रिश्तेदारों को उनके इस खेल में भाग लेना पसंद नहीं था। निक़हत ज़रीन के पिताजी काफी सालों तक सऊदी अरब में रहते थे। लेकिन बाद में वो वापस भारत लौट आये। निक़हत ज़रीन को उनके पिता ने घर पर कुछ समय प्रशिक्षण देने के बाद साल 2009 में इनका दाखिला भारतीय खेल प्राधिकरण विशाखापट्नम में भेज दिया यहाँ ज़रीन ने आईवी राव के अधीन प्रशिक्षण प्राप्त किया। आपको बता दें की आईवी राव द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता रह चुके हैं। यहाँ प्रशिक्षण लेने के अगले साल ही निखत को इरोड नेशनल्स में गोल्डन बेस्ट बॉक्सर के नाम से सम्मानित किया। वर्ष 2011 में निक़हत ज़रीन ने यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल प्राप्त किया। इसके साथ ही इन्होने तुर्की में आयोजित फ्लाईवेट श्रेणी में एआईबी महिला जूनियर से एक और स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। साल 2019 में निकहत ज़रीन ने बुल्गारिया, सोफिया में हुए मैच स्ट्रैडजा मेमोरियल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में गोल्ड प्राप्त किया। साल 2014 में बुल्गारिया में हुए यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर निक़हत ज़रीन ने रजत पदक अपने नाम किया था। थाईलैंड में साल 2019 में आयोजित थाईलैंड ओपन इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में फिर से रजत पदक प्राप्त किया। निक़हत ज़रीन ने तुर्की इस्तांबुल में आयोजित महिला विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर अपनी थाईलैंड विरोधी प्रतिदंद्वी जितपोंग को हराया और 52 किलोग्राम की प्रतियोगिता में फिर से गोल्ड मेडल हासिल किया। साल 2021 में जून 19 को निक़हत ज़रीन को बैंक ऑफ़ इंडिया की हैदराबाद, एसी गॉर्डस ब्रांच ने अपने क्षेत्रीय कार्यालय में स्टाफ अधिकारी के पद पर नियुक्त किया था। इसक बाद से अब तक वो बॉक्सर के साथ ही साथ बैंक ऑफ़ इंडिया की अधिकारी भी हैं। अब वो एक बैंक कार्यकर्ता के रूप में खेलों में भाग लेती हैं।
निक़हत ज़रीन को वर्ष 2014 में उनके होमटाउन निजामाबाद, तेलंगाना का आधिकारिक राजदूत नियुक्त किया गया। वर्ष 2015 में उन्हें अखिल भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय मुक्केबाजी चैम्पियनशिप, जालंधर में ‘सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज’ घोषित किया गया। खेल में उत्कृष्टता के लिए साल 2019 में निखत को “JFW पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था। साल 2021 में निखत को 5वीं एलीट महिला राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैंपियनशिप में “बेस्ट बॉक्सर पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था। वर्ष 2017 में निक़हत ज़रीन के कंधे पर चोट लग जाने के कारण वो एक साल के लिए राष्ट्रीय शिविर से बाहर कर दी गई थी। निक़हत ज़रीन कई बार भारतीय प्रसिद्ध मैगजीन के कवर पेज पर भी आ चुकी हैं। निक़हत ज़रीन को तेलंगाना के खेल मंत्री वी. श्रीनिवास जी ने इनके प्रदर्शन के कारण इन्हे एक इलेक्ट्रॉनिक स्कूटर और 10,000 रूपये सम्मान के रूप में प्रदान किये। साल 2018 से निखत एडिडास ब्रांड की ब्रांड एम्बेस्डर हैं। वर्तमान समय में निक़हत ज़रीन भारत की शीर्ष 5 महिला बॉक्सर की सूची में आ गई हैं।