देश में कुछ लोग ठानकर बैठे हैं कि वे मोदी की छवि धूमिल करके ही रहेंगे : पीएम नरेंद्र मोदी
भोपाल में देश की 11वीं वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को दिखाई हरी झंडी

नई दिल्ली / भोपाल (एप ब्यूरो)
मध्यप्रदेश की पहली वंदे भारत ट्रेन शनिवार शाम को भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन से चलकर बीना पहुंची। यहां ट्रेन को देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। यह ट्रेन रानी कमलापति से रवाना हुई थी। वंदे भारत के प्लेटफार्म पर पहुंचते ही लोग फोटो और सेल्फी लेने लग गए। ट्रेन के प्रति लोगों में काफी दिलचस्पी देखने को मिली। उससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में मध्यप्रदेश की पहली और देश की 11वीं वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के अवसर पर अपने भाषण में कहा कि देश में कुछ लोग हैं, जो 2014 के बाद से ही ये ठानकर बैठे है कि वे मोदी की छवि को धूमिल करके रहेंगे। इसके लिए उन्होंने तरह-तरह के लोगों को सुपारी दे रखी है। इन लोगों का साथ देने के लिए कुछ लोग देश के भीतर हैं और कुछ बाहर भी बैठकर अपना काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी सुबह लगभग 9:30 बजे भोपाल पहुंचे और सीधे कमांडर कॉन्फ्रेंस में शामिल होने कुशाभाऊ ठाकरे हॉल पहुंचे। वे यहां करीब चार घंटे रुके और इसके बाद दोपहर में रानी कमलापति स्टेशन पहुंचे। यहां उन्होंने वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। साथ ही अपने संबोधन में कांग्रेस पर तंज करते हुए अनेक बातें कहीं। पीएम मोदी ने कहा कि आज मध्यप्रदेश को अपनी वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन मिली है। इससे भोपाल और दिल्ली का सफर और तेज हो जाएगा। यह ट्रेन प्रोफेशनल्स के लिए, नौजवानों के लिए, कारोबारियों के लिए नई-नई सुविधा लेकर के आएगी। उन्होंने कहा कि रेलवे के इतिहास में बहुत कम ऐसा हुआ होगा कि एक ही स्टेशन पर इतने कम अंतराल में किसी प्रधानमंत्री का दोबारा आना हुआ हो। यह आयोजन जिस आधुनिक और भव्य रानी कमलापति स्टेशन पर हो रहा है, उसका लोकार्पण करने का सौभाग्य भी आप सबने मुझे दिया था। आज मुझे यही से दिल्ली के लिए भारत की आधुनिकतम वंदे भारत ट्रेन को रवाना करने का अवसर दिया है। इस आधुनिक भारत में नई व्यवस्थाएं बन रही हैं, नई परंपराएं बन रही हैं आज का कार्यक्रम इसी का एक उत्तम उदाहरण है। आज एक अप्रैल के इस कार्यक्रम पर हमारे कांग्रेस के मित्र यह बयान ज़रूर देंगे कि ये मोदी तो ‘अप्रैल फूल’ बना रहा है। लेकिन आप देखिए कि एक अप्रैल को ही यह ट्रेन चल पड़ी है। यह हमारे कौशल, सामर्थ्य और हमारे आत्मविश्वास का प्रतीक है। कांग्रेस एक ही परिवार को देश का प्रथम परिवार मानती रही। इक्कीसवीं सदी का भारत अब नई सोच और नए अप्रोच के साथ काम कर रहा है। पहले की सरकारें तुष्टीकरण में ही इतना व्यस्त रहीं कि देशवासियों के संतुष्टीकरण पर उनका ध्यान ही नहीं गया। वे वोटों के तुष्टीकरण में जुटे हुए थे और हम देशवासियों के संतुष्टीकरण में समर्पित हैं। आज़ादी के बाद उन्हें बना-बनाया रेलवे नेटवर्क मिला था, अगर तब की सरकारें चाहती तो बहुत तेज़ी से रेलवे को आधुनिक बना सकती थीं, लेकिन राजनीतिक स्वार्थ के लिए, रेलवे के विकास को ही बलि चढ़ा दिया गया। हाल तो यह था कि आज़ादी के दशकों बाद भी हमारे नॉर्थ-ईस्ट के राज्य रेलवे से नहीं जुड़े थे। वर्ष 2014 में आपने जब मुझे सेवा का मौका दिया, तो मैंने तय किया कि अब ऐसा नहीं होगा, रेलवे का कायाकल्प होकर रहेगा। बीते नौ वर्षों में हमारा ये निरंतर प्रयास रहा है कि भारतीय रेल दुनिया का श्रेष्ठ रेल नेटवर्क कैसे बने। आज रेलवे स्टेशनों का आधुनिकरण किया जा रहा है। आज देश के 6,000 स्टेशनों पर वाई-फाई की सुविधा दी जा रही है। देश के 900 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों पर सीसीटीवी लगाने का काम पूरा हो चुका है