वाइट हाउस अधिकारी ने कहा, भारत अमेरिका का दोस्त नहीं
विदेश मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2022 में कहा गया है कि चीन के साथ भारत का संबंध जटिल है

नई दिल्ली (एप डेस्क)
भारत अमेरिका का दोस्त नहीं है और न ही कभी होगा ये बात वाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कही है। अमेरिकी राष्ट्रपति के उप सहायक और हिंद-प्रशांत मामलों के समन्वयक कर्ट कैंपबेल ने एक थिंकटैंक के कार्यक्रम में यह कहते हुए स्पस्ट किया कि इसका मतलब ये नहीं कि भारत और अमेरिका करीबी साझेदार नहीं होंगे। दोनों में बहुत सी बातें साझा हैं और हम बहुत सी चीजें साझा करेंगे भारत के साथ निकटता से काम करने की अमेरिका की मंशा पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि हमें उस भूमिका को समझने की जरूरत है जो भारत वैश्विक मंच पर एक महान राष्ट्र के रूप में निभाएगा। कैंपबेल ने कहा, ‘हम इसे प्रोत्साहित करना चाहते हैं और इसका समर्थन करना चाहते हैं। हम उस रिश्ते को और गहरा करना चाहते हैं, जो पहले से ही बहुत मजबूत है। दोनों देशों के लोगों के आपसी संबंध अमेरिकी लोगों के वैश्विक स्तर पर अन्य देशों के लोगों से संबंधों की तुलना में सबसे मजबूत हैं।’ उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका संबंध ’21वीं सदी में अमेरिका के लिए सबसे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंध हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि हमारी नियति एक साथ और अधिक निकटता से काम करने की है। मेरा मानना है कि दोनों देशों के लोगों से लोगों के संबंध मजबूत हैं ये संबंध गहरे और रणनीतिक रूप से अधिक महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं।‘ थिंग टैंक ‘सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी’ (सीएनएएस) ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत-चीन सीमा पर घुसपैठ और झड़पों की घटनाएं बढ़ गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर शत्रुता की बढ़ती आशंका का अमेरिका पर और इन दो एशियाई दिग्गजों के बीच उसकी हिंद-प्रशांत रणनीति पर असर पड़ता है। विदेश मंत्रालय ने पिछले दिनों अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि चीन के साथ भारत का संबंध ‘जटिल’ है और अप्रैल-मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर एकतरफा ढंग से यथास्थिति बदलने के चीनी प्रयास के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन एवं शांति को गंभीर नुकसान पहुंचा। विदेश मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2022 में कहा गया है कि ‘चीन के साथ भारत का संबंध ‘जटिल’ है। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि सीमा से जुड़े विषयों का अंतिम समाधान होने तक द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण विकास का आवश्यक आधार सीमा क्षेत्रों में अमन एवं शांति बनाये रखना होगा। बीजिंग ने भारत-चीन सीमा पर उकसावे वाले कुछ कदम उठाए हैं। सीएनएएस रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अधिकारियों का मानना है कि चीन भारत को पाकिस्तान के साथ उसकी पश्चिमी सीमा तथा चीन के साथ पूर्वी सीमा पर उलझा कर चीनी महत्वाकांक्षाओं को चुनौती देने की भारत की इच्छा और क्षमता को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। कैंपबेल ने कहा कि पांच हज़ार मील की इस विशाल सीमा पर चीन ने जो कुछ कदम उठाए हैं, वे भड़काने वाले तथा भारतीय भागीदारों व दोस्तों के लिए बेहद चिंताजनक है। इस रिपोर्ट में भारत के साथ लगती सीमा पर चीनी आक्रमण को रोकने और प्रतिक्रिया देने में मदद के लिए कई सुझाव दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि अमेरिका को भारतीय क्षेत्रीय विवादों और हिंद-प्रशांत में अन्य अमेरिकी सहयोगियों और साझेदारों के खिलाफ चीन की आक्रमकता के मुद्दे को उठाना चाहिए। रिपोर्ट में पाकिस्तान के संदर्भ में कहा गया कि उसे यह संदेश दिया जाए कि उसे भविष्य में भारत-चीन सीमा विवाद की स्थिति में तटस्थ रहने की आवश्यकता है।