यूएन की अफगानिस्तान पर क़तर में हो रही है बैठक, लेकिन उसमें तालिबान का प्रतिनिधि नहीं
यह दो दिवसीय बैठक 1 और 2 मई को है

नई दिल्ली (एप न्यूज़ डेस्क)
अफगानिस्तान से जुड़ी समस्यायों पर क़तर की राजधानी दोहा में एक अहम बैठक हो रही है। इसे यूनाइटेड नेशन्स ने ऑर्गनाइज किया है। इसमें अमेरिका, पाकिस्तान और चीन के अलावा क़तर भी हिस्सा ले रहा है। आश्चर्यजनक बात यह है कि जिस देश की मुश्किलों पर यह बैठक हो रही है, उसका ही कोई प्रतिनिधि इसमें मौजूद नहीं है। अफगानिस्तान में इस समय तालिबान की सरकार है। उसे इस मीटिंग में नहीं बुलाया गया है। मीटिंग का उद्देश्य ये है कि किस तरह अफगान महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा और काम के अधिकार दिलाए जाएं। यह दो दिवसीय बैठक 1 और 2 मई को है। इस मीटिंग में यूनाइटेड नेशन्स ने उन सभी देशों को आमंत्रित किया है, जो किसी न किसी तौर पर अफगानिस्तान मामले से सीधे तौर पर जुड़े हैं। अमेरिका के अलावा, रूस, चीन और पाकिस्तान को बुलाया गया है। इसके अलावा उन संगठनों को भी समिट में बुलाया गया है जो अफगानिस्तान को सबसे ज्यादा आर्थिक मदद देते हैं। तालिबान को इस मीटिंग में क्यों नहीं बुलाया गया, इस बारे में किसी भी देश ने कोई प्रतिकिर्या नहीं दी है। कुल मिलाकर पच्चीस मेंबर्स मीटिंग में शामिल हैं। मीटिंग की अध्यक्षता यूएन सेक्रेटरी जनरल एंतोनियो गुटरेस करेंगे। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि मीटिंग से पहले तालिबान को कुछ पॉइंट्स या कहें सवाल भेजे गए थे और उससे इन पर जवाब मांगा गया था। मार्च में कुछ महिलाओं ने अपने अधिकारों की मांग को लेकर काबुल में रैली निकाली थी। इस रैली में दुनिया से अपील की गई थी कि वो तालिबान की हुकूमत की तब तक कोई मदद न करें, जब तक वो महिला को उनके हक नहीं दिला देती। अगस्त 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने के बाद तालिबान को महिला अधिकारों के मुद्दे पर सबसे ज्यादा विरोध का सामना करना पड़ा है।
दोहा में मीटिंग से पहले अफगानिस्तान की महिलाओं के एक ओवरसीज ग्रुप ने बयान जारी किया। इसमें कहा गया है कि अगर अफगानिस्तान के साथ दुनिया का कोई भी देश डिप्लोमैटिक रिलेशन शुरू करता है तो यह बेहद गलत कदम होगा। कुछ देशों ने कहा है कि अफगानिस्तान की महिलाओं का मुद्दा वास्तव में अफगानिस्तान का आंतरिक मामला है। महिलाओं के मुद्दे पर यूएन की डिप्टी सेक्रेटरी जनरल अमीना मोहम्मद ने पिछले महीने कहा था कि तालिबान हुकूमत को कुछ तय शर्तों के हिसाब से मान्यता देने पर छोटे ही सही, अहम कदम उठाए जा सकते हैं। अमीना के बयान के बाद कई संगठनों में यह सन्देश गया कि शायद यूएन खुद चाहता है कि अब तालिबान हुकूमत को मान्यता दी जाए। हालांकि, बाद में यूएन ने खुद बयान जारी कर कहा कि अमीना के बयान का गलत मतलब निकाला जा रहा है। बयान में कहा गया कि हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि अफगानिस्तान से जुड़े भी अहम मामले हों उन पर सभी सहमत हों। खासतौर पर महिला अधिकारों और प्रशासनिक मुद्दों पर। इसके अलावा ड्रग स्मगलिंग और आतंकवाद से जुड़ी दिक्कतें तो वहां जारी हैं। पाकिस्तान की तरफ से विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार मीटिंग में शिरकत कर रही हैं।