ईरान पर हमले के लिए तैयार है इस्राईल

एयरफोर्स चीफ ने कहा अमेरिका ने साथ नहीं दिया तो अकेले हमला करेंगे

 नई दिल्ली (एप न्यूज़ डेस्क)

इस्राईल के एयरफोर्स चीफ के बयान ने विश्व में हलचल मचा दी है उन्होंने स्पस्ट  कर दिया कि उनका देश ईरान पर हमले के लिए तैयार है। हेरजी ने कहा है कि हमें इस बात की परवाह नहीं है कि ईरान पर हमले के दौरान अमेरिका मदद करता है या नहीं, अगर वो साथ नहीं देता तो हमें कोई दिक्कत नहीं, हम अकेले ही ईरान को एटमी हथियार बनाने से रोक सकते हैं। इस्राईल का आरोप है कि ईरान एटमी हथियार बनाने के करीब पहुंचता जा रहा है। उसका आरोप है कि अगर ईरान न्यूक्लियर हथियार बनाने में कामयाब हो गया तो इससे इस्राईल के साथ कई अरब देशों की सुरक्षा को खतरा पैदा हो जाएगा। लिहाजा ईरान को एटमी ताकत बनने से हर कीमत पर रोका जाएगा। इस्राईल आर्मी रेडियो को दिए एक इंटरव्यू में एयरफोर्स चीफ ने कहा कि हम ईरान के खिलाफ कार्रवाई के लिए बिल्कुल तैयार हैं। हमारे पास इतनी ताकत मौजूद है कि हजारों किलोमीटर दूर या देश के पास हम किसी भी ऑपरेशन को सफलतापूर्वक कर सकते हैं। हमने ऐसी योग्यता हासिल कर ली है कि किसी भी टारगेट को दूर से ही निशाना बना सकते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई टारगेट कितना दूर या कितना पास है। इस्राईल एयरफोर्स चीफ ने कहा है कि  हमें बहुत अच्छी तरह पता है कि अकेले हमला कैसे किया जाता है और इसमें कामयाबी कैसे हासिल की जाती है। अच्छा होगा कि अमेरिका इस मिशन में हमारा साथ दे। अगर वो इसमें शामिल नहीं होता है तो भी कोई दिक्कत नहीं, इस्राईल खुद के दम पर ऐसे मिशन कामयाबी के साथ पूरा करने की ताकत रखता है।

युद्ध के इस बयान के बाद हलचल मच गयी है। ईरान ने आरोप लगाया है कि इस्राईल की एयरफोर्स ने सीरिया पर हमला किया और इसमें ईरान के कुछ सैनिक मारे गए। दूसरी तरफ, इजराइल का सवाल है कि सीरिया में ईरान के सैनिक किस काम के लिए मौजूद थे। ईरान सरकार या फौज ने यह तो नहीं बताया कि सीरिया में ईरान के सैनिक क्या कर रहे थे, उल्टे यह धमकी जरूर दे दी कि इस हमले का बदला लिया जाएगा। तेहरान ने भी कहा- अगर इस्राईल हमला कर सकता है तो हम भी कम नहीं हैं  काबिलियत रखते हैं। सही वक्त पर जवाब जरूर दिया जाएगा। दूसरी तरफ अमेरिका अब तक इस मामले पर चुप है। जोबाइडेन ने कहा है कि ईरान को कूटनीतिक तरीके से एटमी हथियार हासिल करने से रोका जा सकता है। इस्राईल इससे इत्तफाक नहीं रखता। फरवरी 2022 में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के करीबी कैबिनेट मंत्री जाची हेंग्बी ने कहा था- अगर अमेरिका ईरान के खिलाफ हमारा साथ नहीं देता, या उससे कोई डील करता है तो हमें इसकी फिक्र नहीं है, इजराइल अकेले ईरान पर हमला करके उसके एटमी ठिकाने तबाह कर देगा। इस्राईल मंत्री का बयान अमेरिका की जोबाइडेन सरकार को एक सन्देश माना गया था। दरअसल, 2015 में बराक ओबामा के दौर में अमेरिका और ईरान के बीच न्यूक्लियर डील हुई थी। 2017 में जब ट्रम्प राष्ट्रपति बने तो उन्होंने इसे रद्द कर दिया। अब बाइडेन फिर ईरान से डील की बातें कर रहे हैं, जबकि इस्राईल साफ कर चुका है कि इस मामले पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। हेंग्बी का बयान इस लिहाज से भी अहम था, क्योंकि वो पहले होम मिनिस्टर, मिलिट्री इंटेलिजेंस चीफ और खुफिया एजेंसी मोसाद को भी लीड कर चुके हैं। माना जाता है कि वो अब भी मोसाद को एडवाइस देते हैं। ट्रम्प के दौर में अमेरिका ने ईरान के खिलाफ बेहद सख्त रुख अपनाया था। ट्रम्प की मंजूरी के बाद ईरान के सबसे बड़े और राष्ट्रपति से ज्यादा लोकप्रिय आर्मी कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी को इराक में मार गिराया गया। दो न्यूक्लियर साइंटिस्ट तेहरान में मारे गए। ये सभी हमले इजराइल और अमेरिका ने मिलकर किए थे। न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसका खुलासा भी कर दिया था। अब बाइडेन पुरानी डील लागू करने और ईरान पर नर्म रुख अपनाने के संकेत दे रहे हैं। इससे इजराइल और अमेरिका के बीच मतभेद बढ़ रहे हैं। ट्रम्प के दौर में इस्राईल और 5 अरब देशों के बीच 60 साल पुरानी दुश्मनी खत्म हुई थी। अब वे काफी करीब आ चुके हैं। अरब देशों के लिए ईरान सबसे बड़ा खतरा है। इजराइल के रूप में अब उनके पास बेहद ताकतवर दोस्त है। करीब 22 साल से ईरान एटमी ताकत हासिल करने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका समेत पश्चिमी देश, इस्राईल और अरब वर्ल्ड को लगता है कि अगर ईरान ने न्यूक्लियर हथियार बना लिए तो इससे दुनिया को खतरा पैदा हो जाएगा। 2010 में ईरान को रोकने के लिए यूएन  सिक्योरिटी काउंसिल, यूरोपीय यूनियन और अमेरिका ने पाबंदियां लगाईं थीं। ज्यादातर अब भी जारी। 2015 में ईरान का इन शक्तियों से समझौता हुआ। करीब पांच साल तक ईरान को राहत मिलती रही। जनवरी 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने समझौता रद्द किया। ईरान पर सख्त प्रतिबंध लगाए।

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