सैटेलाइट के जमाने में गुब्बारा क्यों भेजा चीन ने?

अमेरिका के उत्तरी हिस्से में देखे गए गुब्बारे से चीन आखिर क्या जानकारी हासिल करना चाहता था? अमेरिकी रक्षा अधिकारियों का अनुमान है कि इसके जरिए चीन ने अमेरिका के सैनिक ठिकानों की जासूसी करने की कोशिश की। साथ ही संभवतया उसने अपनी जासूसी क्षमता का परीक्षण करने का प्रयास भी किया है। इन गुब्बारों के कारण अमेरिका में चिंता और नाराजगी का माहौल बना है। इस कारण अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने अपनी प्रस्तावित चीन यात्रा भी स्थगित कर दी है।
अमेरिका के कुछ रक्षा अधिकारियों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि चीन के उपग्रह अंतरिक्ष की निम्न कक्षा में स्थापित हैं। चीन उनके जरिए जो सूचना हासिल कर सकता है, उससे ज्यादा कोई जानकारी उसे गुब्बारे से नहीं मिलेगी। उधर चीन ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि ये गुब्बारा ‘असैनिक एयरशिप है। एयरशिप का इस्तेमाल अनुसंधान- खास कर मौसम संबंधी जानकारियां जुटाने के लिए किया जाता है।’ उसने कहा कि यह गुब्बारा गलती से रास्ता भटक कर अमेरिका के वायु क्षेत्र में चला गया।
अमेरिका में इस घटना को बेहद गंभीरता से लिया गया है। अमेरिका ने अपनी गंभीर प्रतिक्रिया से तुरंत चीन को अवगत कराया। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस मुद्दे को तुरंत वाशिंगटन स्थित चीनी दूतावास के सामने उठाया गया। उधर बीजिंग स्थित अमेरिकी दूतावास ने भी इसे संबंधित अधिकारियों के सामने उठाया। अधिकारी ने कहा- ‘हमारे दिमाग में यह बात बिल्कुल साफ है कि अपनी जनता और देश की रक्षा के लिए जो भी जरूरी कदम होगा, हम उठाएंगे।’
थिंक टैंक एशिया पॉलिसी इंस्टीट्यूट में स्थित सेंटर फॉर चाइना एनालिसिस से जुड़े एक वरिष्ठ विश्लेषक ने कहा है- ‘संभवतया चीन ने गुब्बारा अमेरिका की जासूसी-भेदी क्षमताओं का इम्तिहान लेने के लिए भेजा। गुब्बारे पर इसलिए कोई आधिकारिक निशान नहीं डाला गया, ताकि जरूरी हो तो इसके उसका होने से चीन इनकार कर दे।’
थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट में एशिया-प्रशांत सिक्युरिटी विभाग के अध्यक्ष पैट्रिक क्रोनिन ने कहा है- ‘गुब्बारों पर अमेरिका की नजर पड़ना तय था। इससे यह जाहिर होता है कि जानबूझ कर गुस्ताखी की। वैसे चीन के उपग्रह लगातार अमेरिका के मिसाइल क्षेत्रों और अन्य रक्षा ठिकानों की निगरानी करते रहते हैं। मेरी राय में चीन ने एक मनोवैज्ञानिक दांव चला, ताकि वह अमेरिका का ध्यान खींच सके।’
जानकारों के मुताबिक ऐसी गतिविधियां गुजरे वर्षों में अनेक बार देखी गई हैं। एक अमेरिकी अधिकारी ने पत्रकारों को बताया कि पहले अमेरिका ने ऐसे मामलों को सार्वजनिक नहीं किया। उन्होंने कहा- ‘इस बार गुब्बारा अमेरिकी वायु क्षेत्र से बाहर जाने में जितना वक्त ले रहा है, ऐसा पहले नहीं हुआ।’
विश्लेषकों के मुताबिक अमेरिका ने इस बार गुब्बारे की घटना को सार्वजनिक करने का फैसला शायद इसलिए किया, क्योंकि पहले गोपनीय ढंग से चीन से इस मामले को उठाया गया होगा, जिस पर चीन ने ध्यान नहीं दिया। अब यह साफ है कि गुब्बारे की घटना से दोनों देशों के बीच तनाव काफी ज्यादा बढ़ गया है।